Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर केस को लेकर लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोग इस मामले में इंसाफ की मांग कर रहे हैं। इस मामले की जांच CBI कर रही है।
CBI ने सोमवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदपी घोष से करीब 13 घंटे तक पूछताछ की है। डॉक्टर अब भी हड़ताल पर बैठे हुए हैं। कोलकाता में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने आज स्वास्थ्य भवन तक मार्च करने का आह्वान किया है।
वहीं, इस मामले को लेकर आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई होनी है। बता दें कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया था और मंगलवार को सुबह 10:30 बजे सुनवाई के लिए मामले को वाद सूची में सबसे ऊपर रखा है।
सूत्रों की मानें तो शीर्ष अदालत डॉक्टरों की हड़ताल और देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए न्यायिक जांच के आदेश दे सकती है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट से ठोस समाधान निकाले जाने के बाद डॉक्टर भी अपनी हड़ताल छोड़ देंगे।
वकील ने दायर की याचिका
कोलकाता रेप मर्डर केस (Kolkata Rape-Murder Case) पर कोर्ट के स्वतः संज्ञान के बीच एक नया हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया है। एक वकील ने इसमें हस्तक्षेप करने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में कहा गया है कि कानून तो है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।
कार्यस्थलों पर विशाखा दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जाता। बलात्कार और हत्या के हर मामले में न्यायिक जांच होनी चाहिए, ताकि पक्षपात और दबाव से बचा जा सके और असली दोषियों को बचाया न जा सके। याचिका में तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति गठित करने की मांग की गई है जो मामले में सीबीआई जांच की निगरानी कर सके।
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डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स ऑफ इंडिया (FAMCI) और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) तथा वकील विशाल तिवारी ने भी स्वप्रेरणा मामले में अंतरिम आवेदन दाखिल करके सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
FAMCI ने की ये मांग
FAMCI ने अपनी याचिका में किसी केंद्रीय कानून के अभाव में देश भर के अस्पतालों में चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा संबंधी चिंता जताई है और कहा कि बुनियादी सुरक्षा उपायों की मांग के बावजूद चिकित्साकर्मी जोखिम भरे वातावरण में काम करना जारी रखे हुए हैं।
डॉक्टरों के संगठन ने कहा कि केंद्र से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा राज्य स्तरीय कानूनों में कमियों को दूर करने के लिए समान दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए कहा जाना चाहिए।
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मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टरों तथा सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को औपचारिक रूप से ‘लोक सेवक’ घोषित किया जाना चाहिए। नगरपालिका अस्पतालों के परिसर में अनिवार्य रूप से पुलिस चौकी स्थापित की जानी चाहिए।