Himachal Pradesh Financial Crisis: हिमाचल प्रदेश इस समय कर्ज में डूबा हुआ है। प्रदेश में गंभीर वित्तीय स्थिति को देखते हुए CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बड़ा एलान किया है। उन्होंने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों सहित मुख्य संसदीय सचिव, हिमाचल सरकार के 8 सलाहकारों और सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों के वेतन और भत्ते में 2 महीने तक रोक लगाने की घोषणा की है।
CM ने ये घोषणा विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन की है। सदन में CM सुक्खू ने वेतन-भत्तों से जुड़े वक्तव्य को पढ़ा, जिससे यह साफ होता है कि प्रदेश के मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों को राज्य पर बढ़ते वित्तीय स्थिति को समझना होगा।
सीएम सुक्खू ने कही ये बड़ी बात
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश की गंभीर वित्तीय स्थिति को देखते हुए ये घोषणा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं और मेरे मंत्रिमंडल के सभी मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव और कैबिनेट रैंक के सलाहकार और सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष 2 महीने तक के लिए वेतन भत्ते लेना विलंबित करेंगे।
बचेंगे 1.28 करोड़ रुपये
बता दें कि सीएम के इस फैसले से राज्य के 1.28 करोड़ रुपये बचेंगे। मुख्यमंत्री, मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों व कैबिनेट दर्जा प्राप्त 8 लोगों अगर वेतन नहीं लेते है, तो राज्य का 1.28 करोड़ रुपये बचेंगे। हालांकि, तीसरे महीने वेतन देने के लिए सरकार को 2.74 करोड़ की आवश्यकता होगी।
केंद्र सरकार नहीं दे रही पैसे
सीएम ने विधानसभा में राज्य के आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राजस्व घाटा अनुदान जो साल 2023-24 में 8058 करोड़ रुपये हुआ करता था, वो इस साल 1800 करोड़ रुपये कम हो गई है। राज्य का राजस्व घाटा 6258 करोड़ रुपये है। वहीं, ये आंकड़ा अगले साल (2025-26) 3000 करोड़ रुपये तक कम हो जाएगा, जिसके बाद ये 3257 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।
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CM सुक्खू ने बताया कि एनपीएस कर्मचारियों की पीडीएनए के पैसे भी अभी तक राज्य सरकार को नहीं मिले है। उन्होंने कहा कि एनपीएस कर्मचारियों की पीडीएनए की लगभग 9042 करोड़ रुपये की राशि हमारी सरकार को नहीं मिली है।
एनपीएस कंट्रीब्यूशन के लगभग 9200 करोड़ रुपये पीएफआरडीए से प्राप्त नहीं हुए हैं। हमने केंद्र सरकार से कई बार अनुरोध भी किया है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें जीएसटी कंपनसेशन जून 2022 के बाद से ही मिलना बन्द हो गया है। इस कारण राज्य की प्रतिवर्ष लगभग 2500-3000 करोड़ की आय कम हो गई है। वहीं, ओपीएस बहाल करने के कारण राज्य की उधार लेने की सीमा भी लगभग 2000 करोड़ से कम हो गई है।
चुनावी रेवड़ियों पर खर्च हो रही रकम
बता दें कि विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस ने 10 रेवड़ियां देने की घोषणा की थी। इसके अनुसार, कांग्रेस ने महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये देने की शुरुआत की थी। इसके लिए सरकार ने सालाना लगभग 1000 करोड़ का बजट तैयार किया था। वहीं, दूध खरीद, गोबर खरीद, 300 यूनिट निशुल्क बिजली देने की शुरुआत अभी तक नहीं हो पाई है।
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राज्य को राजस्व जुटाने के लिए उठाए गए कदमों से काफी नुकसान हुआ है। उदाहरण के लिए ओपीएस लागू करने से 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त ऋण सुविधा कम हो गई है। वहीं, राज्य जल आयोग का गठन किया गया था, जिससे सालाना 3200 करोड़ की आय की उम्मीद की गई थी, लेकिन आय होने के बजाए मामले अदालतों में पहुंच गए। साथ ही वर्तमान में केंद्र प्रायोजित योजनाओं से 2 हजार करोड़ की विकासात्मक परियोजनाएं चल रही है।
खराब वित्तीय स्थिति के लिए पिछली सरकार जिम्मेदार
CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि राज्य जिस वित्तीय संकट (Himachal Pradesh Financial Crisis) से जूझ रहा है, इसका जिम्मेदार पिछली सरकार है। उन्होंने कहा कि पहले की भाजपा सरकार ने सरकारी खजाने को लुटाया है। अब प्रदेश के आर्थिक प्रबंधन से आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार हो रहे हैं।
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बता दें कि सीएम सुक्खू ने डी.ए. और एरियर की बकाया राशि को शीघ्र चुकाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए बड़े होटलों को मिलने वाली बिजली की सब्सिडी बंद कर दी है।