भारत के सबसे उम्रदराज पूर्व क्रिकेट कप्तान दत्ताजीराव गायकवाड़ का निधन हो गया, वो 95 साल के थे। गुजरात के वडोदरा में उन्होंने अंतिम सांस ली। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में उन्हें डीके गायकवाड़ के नाम से जाना जाता है। दत्ताजीराव कृष्णराव गायकवाड़ अपने निधन तक सबसे उम्रदराज जीवित भारतीय क्रिकेटर थे।
वह वो एक मार्गदर्शक, और भारतीय क्रिकेट की अजेय भावना का प्रतीक थे। गुजरात के बड़ौदा में जन्मे गायकवाड़ की क्रिकेट यात्रा उनके घर के धूल भरे मैदानों से शुरू हुई थी। इनका बल्ले के साथ अटूट रिश्ता शुरू से ही स्पष्ट हो गया था, और 1957-58 सीज़न के दौरान रणजी ट्रॉफी में अपनी टीम, बड़ौदा को जीत दिलाने में उन्हें ज्यादा समय नहीं लगा था।
गायकवाड़ का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर नौ साल का रहा, इस दौरान उन्होंने भारत के लिए 11 टेस्ट मैच खेले। उनकी बल्लेबाजी औसत 18.42 और कुल 350 रन उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रमाण देते हैं। उनका अधिक स्कोर 54 रन ,जो 1955 में न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था । यह उनके करियर का मुख्य आकर्षण केंद्र बना हुआ है। गायकवाड़ एक लेग-ब्रेक गेंदबाज थे लेकिन फिर भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होने 25 विकेट लिए थे।
घरेलू क्रिकेट पर गायकवाड़ का प्रभाव महत्वपूर्ण था। उन्होंने 110 प्रथम श्रेणी मैचों में 5,788 रन बनाए, जिसमें 17 शतक और 23 अर्द्धशतक शामिल हैं। Retirement के बाद भी खेल के प्रति उनका समर्पण कम नहीं हुआ। इसके बजाय, उन्होंने बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन के भीतर युवा प्रतिभाओं का पोषण करने का भा फैसला किया था ।
उनके बेटे, अंशुमन गायकवाड़ ने उनके नक्शेकदम पर चलते हुए 55 मैचों में भारत के लिए खेला। अंशुमन की सफलता उनके पिता द्वारा प्रदान की गई सलाह की गुणवत्ता का प्रमाण देते हैं। बीसीसीआई की ओर से नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार ने भारतीय क्रिकेट के इतिहास में गायकवाड़ परिवार की जगह को और मजबूत कर दिया है।
जैसा कि हम डीके गायकवाड़ को विदाई दे रहे हैं, हम न केवल एक क्रिकेटर को याद करते हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति को भी याद करते हैं जिसने अपना जीवन उस खेल के लिए समर्पित कर दिया जिसे वह प्यार करता था। उनकी विरासत उन अनगिनत जिंदगियों में जीवित है जिन्हें उन्होंने छुआ और जिन क्रिकेटरों को उन्होंने मार्गदर्शित किया।