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नागपंचमी आज, इस विधि से पूजा करने पर मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति

माना जाता है कि नाग देवता की पूजा करने से आपको कभी कालसर्प दोष का सामना नहीं करना पड़ता। इस पूजा से आपको पितृदोष से भी मुक्ति मिल जाती है। तो आइए आपको बताते हैं नाग पंचमी का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि…
Nag Panchami| shreshth bharat

Nag Panchami: हिन्दू धर्म में सावन महीने को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस महीने आने वाले सभी त्योहारों को विशेष माना जाता है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है। इसलिए भक्त भोलेनाथ को खुश करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

इस माह भोलेनाथ के गले के श्रृंगार कहे जाने वाले नाग देवता की पूजा भी होती है। जी हां, हम बात कर रहे है नाग पंचमी की। यह त्योहार भारत ही नहीं नेपाल और हिंदू आबादी वाले अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है।

इस साल नाग पंचमी 9 अगस्त 2024 यानी आज है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और साथ ही नाग देवता को दूध से स्नान कराकर विधि विधान से पूजा करते हैं।

माना जाता है कि नाग देवता की पूजा करने से आपको कभी कालसर्प दोष का सामना नहीं करना पड़ता। इस पूजा से आपको पितृदोष से भी मुक्ति मिल जाती है। तो आइए आपको बताते हैं नाग पंचमी का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि…

नाग पंचमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत में राजा जनमेय ने अपने पिता का बदला लेने के लिए एक यज्ञ का आरंभ किया था। ये यज्ञ सांपों के अस्तित्व को मिटाने के लिए किया गया था। इस दौरान ऋषि आस्तिक ने इस यज्ञ को रोका और सांपों को बचाया।

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वो दिन सावन की शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन था और तब से ही नाग पंचमी के रूप में इसे मनाया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा से नागदेव के साथ भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

Nag Panchami: तिथि

नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है और इस तिथि का आरंभ 9 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजकर 36 मिनट से होगा और इसका समापन 10 अगस्त सुबह 03 बजकर 14 मिनट पर होने वाला है। वहीं, पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 47 मिनट से 08 बजकर 27 मिनट के बीच रहने वाला है।

Nag Panchami: पूजा विधि

नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय से पहले उठें और नहा-धोकर साफ कपड़े पहने। फिर भगवान के मंदिर की सफाई करें। आप चाहे तो मंदिर भी जा सकते है।

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इसके बाद शिवालय जाकर या घर में भी भगवान शिव और नाग देवता की पूजा करें। पूजा में फल, फूल, मिठाई और दूध अर्पित करें। आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाएं।


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