Kajari Teej 2024: आज यानी 22 अगस्त को पूरे देश में कजरी तीज का व्रत मनाया जा रहा है। अपनी पति की लंबे उम्र के लिए महिलाएं कजरी तीज का पर्व मनाती हैं। हिन्दू धर्म में कजरी तीज को बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है।
विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं तो वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं। माता पार्वती को खुश करने के लिए इस व्रत को रखा जाता है। ताकि मां की कृपा बनी रहे और दु:ख-कष्ट सब दूर हो जाएं।
शुभ मुहूर्त
इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त, गुरुवार को मनाया जा रहा हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 26 मिनट से सुबह 05:10 तक रहेगा। 22 अगस्त को चंद्रोदय रात 8 बजकर 20 मिनट पर होगा।
पूजा विधि
कजरी तीज (Kajari Teej 2024 ) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ वस्त्रों को पहनें। फिर पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्रित करके रख लें और व्रत शुरू करें। अब सबसे पहले एक चौकी लगाएं और उस पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
इसके बाद माता पार्वती और भोलेनाथ की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। फिर भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें और मां पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाएं। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करें और अंत में कथा का पाठ करें।
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शाम के समय महिलाएं सोलह श्रृंगार कर तीज माता की पूजा करती हैं। सबसे पहले तीज माता को जल चढ़ाएं। फिर रोली व चावल चढ़ाएं। नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली व काजल की तेरह-तेरह बिंदिया अपनी अंगुली से लगाएं।
वहीं, मेहंदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगाएं। फिर नीमड़ी माता को मौली चढाएं। मेहंदी, काजल और वस्त्र (ओढ़नी) चढ़ाएं। दीवार पर लगाई बिंदियों पर भी मेहंदी की सहायता से लच्छा चिपका दें। नीमड़ी को कोई फल, सातु और दक्षिणा चढ़ाएं।
चंद्रोदय होने पर करें पूजा
जो भी महिलाएं और लड़कियां ये व्रत रखीं हो, वे चंद्रोदय होने पर पूजा करें। इस दौरान हाथ में एक चांदी की अंगूठी और गेहूं के कुछ दाने लेकर चंद्रदेव की पूजा करें। इसके बाद उन्हें अर्घ्य दें। पूजा समाप्त होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की चीजें दान में देकर उनसे आशीर्वाद लें।
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कजरी तीज का महत्व
माना जाता है कि कजरी तीज का व्रत रखने से विवाहित महिलाओं के पति की आयु बढ़ती है। साथ ही कुंवारी कन्याओं को ये व्रत रखने से मनचाहा वर मिलता है।
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जीवन में आने वाली बाधाएं भी ये व्रत करने से खत्म होती हैं और आने वाले समय में सभी कष्ट और संकटों से छुटकारा मिलता है।