Loksabha election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव कब होंगे? इसकी घोषणा आज चुनाव आयोग द्वारा कर दी जाएगी। चुनाव आयोग आज शनिवार को तीन बजे लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का एलान करेगा। चुनाव आयोग के एलान के तुरंत बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी। आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि ये आदर्श आचार संहिता क्या होती है? इसको क्यों लगाया जाता है और जब आचार संहिता लगाते हैं तो किन-किन चीजों पर पाबंदी लगाई जाती है।
आचार संहिता क्या होती है
आदर्श आचार संहिता राजनीतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों के लिए रूल्स एंड रेगुलेशन निर्धारित करने के लिए लगाई जाती है। इन रूल्स और रेगुलेशन को राजनीतिक दलों की सहमति से तैयार किया जाता है। आदर्श आचार संहिता में इलेक्शन कमीशन की अहम भूमिका होती है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन सांसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र निष्पक्ष और शांतिपूर्वक चुनाव आयोजन चुनाव आयोग का संवैधानिक कर्तव्य है।
आचार संहिता कितने दिनों तक लागू रहती है
इलेक्शन कमीशन के एलान के तुरंत बाद आचार संहिता लागू हो जाती है जब तक पूरे देश में चुनाव नहीं हो जाते और नई सरकार नहीं चुन ली जाती तब तक आचार संहिता लागू रहती है। लोकसभा चुनाव होने तक आदर्श आचार संहिता पूरे देश में लागू रहती है तो वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान पूरे राज्य में इसे लागू किया जाता है।
आदर्श आचार संहिता की कुछ विशेषताएं होती हैं इन विशेषताओं में राजनीतिक पार्टियों चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान किस तरीके का व्यवहार करना चाहिए। चुनाव प्रक्रिया बैठकर आयोजित करने शोभायात्राओं मतदान, दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज भी इसी आचार संहिता में निर्धारित किए जाते हैं। मंत्री अपने आधिकारिक दौरे पर चुनाव का प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलेंगे और नहीं चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का इस्तेमाल करेंगे हालांकि चुनाव प्रचार के साथ आधिकारिक दौरे को मिलने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट होती है। आचार संहिता के नियमों के मुताबिक विमान वाहनों इत्यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोई भी उम्मीदवार के अपने हितों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
आचार संहिता के नियमों के मुताबिक, मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक जाने की अनुमति होती है।
चुनाव प्रचार के दौरान प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे उपलब्धियां के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जनसंपर्क निषेध होता है। केंद्र में सत्ताधारी पार्टी या राज्य सरकार की उपलब्धियां को प्रदर्शित करने के लिए होल्डिंग या विज्ञापनों को सरकारी खर्च पर जारी नहीं किया जा सकता।
इसमें चुनाव प्रचार के लिए भी कुछ नियम हैं
चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी दल का उम्मीदवार किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा धार्मिक संविदाओं के बीच मतभेद पैदा करे।
नियमों में साफ तौर पर कहा गया है जब राजनीतिक दलों की आलोचना की जाए तो उसे उनकी नीति और कार्यक्रम रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाए। कोई भी पर्सनल होकर निजी जिंदगी के बारे में आलोचना न करें। इसमें शर्त है कि यह पहलू किसी सार्वजनिक गतिविधि से जुड़े नहीं होने चाहिए।
चुनाव में वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदायता की भावना के आधार पर कोई भी अपील करना गैरकानूनी होता है। मंदिर, मस्जिद, चर्च और अन्य धार्मिक स्थलों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
चुनाव प्रचार के लिए भी खास नियम बनाए गए हैं। चुनाव आयोग ने राजनीतिक प्रयोग के लिए स्कूल और कॉलेज के मैदानों के प्रयोग की अनुमति नहीं है। हालांकि इसमें पंजाब और हरियाणा राज्य को छूट मिली है।
उम्मीदवार चुनाव के खत्म होने के लिए तय किए गए समय के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटे की अवधि के दौरान सिनेमा, टेलीविजन या किसी अन्य तरह के उपकरण के माध्यम से जनता को किसी भी चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं।
किसी भी प्रत्याशी को सार्वजनिक यानी जी स्थान पर सभा आयोजित करने और जुलूस निकालने के लिए पुलिस अधिकारियों के लिखित अनुमति लेनी होगी। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
मतदान केंद्र के लिए भी खास नियम बनाए गए हैं। मतदान के दिन मतदान केंद्र के 100 मीटर की दूरी के भीतर चुनाव प्रचार करना गैरकानूनी है। इसके लिए उम्मीदवार पर कार्रवाई भी की जा सकती है। मतदान के लिए मतदान केंद्र के आसपास किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं होती।