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इस दिन होगी ज्ञानवापी मामले में सुनवाई, जानें कौन सा पक्ष रखेगा अपनी दलील

Varanasi Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वेक्षण कराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।
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Varanasi Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वेक्षण कराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी। मामले से जुड़े अधिकवक्ता ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का सर्वेक्षण कराने का आदेश देने के अनुरोध वाली याचिका पर मंगलवार को मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) युगल शम्भू के सामने अपनी दलीलें रखीं‍।

उन्होंने बताया कि कमेटी के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष दलील रखी कि जब हिन्दू पक्ष द्वारा मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चलाए जाने की अपील की है तब इस मामले पर यहां बहस करने का कोई औचित्य नहीं है।

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यादव के मुताबिक, मुस्लिम पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि जब ज्ञानवापी परिसर का एक बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराया जा चुका तो दोबारा सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने बताया कि कमेटी के अधिवक्ता ने कहा कि सर्वे के लिए मस्जिद परिसर में गड्ढा कराया जाना किसी तरह से व्यवहारिक नहीं होगा। इससे मस्जिद को नुकसान पहुंच सकता है।

यादव ने बताया कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के एएसआई सर्वे कराने के विरोध में दी गयी दलील पर अब हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं द्वारा अदालत के अगली सुनवाई को जवाब प्रस्तुत किया जाएगा।

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अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की तिथि तय की है। इस पहले हिंदू पक्ष ने दलील दी थी कि ज्योतिर्लिंग का मूल स्थान ज्ञानवापी परिसर में स्थित मस्जिद के गुंबद के नीचे बीच में स्थित है। साथ ही भौगोलिक जल ‘अर्घे’ से लगातार बहता था, जो ज्ञानवापी कुंड में इकट्ठा होता था। उन्होंने इस जल की जल इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों के जरिये जांच कराने की मांग की थी।


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Pradhan Mantri Awas Yojana: उत्तर प्रदेश में हर एक पात्र व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलेगा, ऐसा राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस योजना के तहत होने वाले सर्वे में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी और किसी भी पात्र व्यक्ति को लाभ से वंचित नहीं रखा जाएगा। हर गांव में एक सरकारी कर्मचारी को सर्वे का काम सौंपा गया है और सर्वे के दौरान लाभार्थी और सर्वे करने वाले अधिकारी दोनों का फेस पहचान तकनीक से मिलान किया जाएगा। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार (Pradhan Mantri Awas Yojana) ने उत्तर प्रदेश को इस वित्तीय वर्ष में 70 हजार आवासों का लक्ष्य दिया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्रता मानकों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यह भी पढ़ें- लखनऊ: विधानसभा के बाहर युवक ने खुद को लगाई आग, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती पहले, जिन लोगों के पास मोटरसाइकिल, लैंडलाइन फोन या रेफ्रिजरेटर जैसे सामान थे, उन्हें भले ही उनका घर कच्चा हो, आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाता था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस नियम में ढील दे दी है। मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश को इस योजना में देश में पहले स्थान पर रहना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत पिछले छह वर्षों में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इस योजना के तहत अब तक कुल 2.52 लाख घरों का निर्माण पूरा हो चुका है। यह योजना विशेष रूप से गरीब और वंचित समुदायों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई है। यह भी पढ़ें- औली में भारत-कजाकिस्तान के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास जारी, फायरिंग का हुआ आयोजन Nayab Saini
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