श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

मौनी अमावस्या महाकुम्भ का सबसे बड़ा पर्व क्यों? जानिए सनातन का सबसे बड़ा रहस्य

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुम्भ में उमड़ पड़ा है आस्था का सागर। मौनी अमावस्या पर एक दिन में 10 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। प्रयागराज में एक दिन में श्रद्धालुओं की ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से ज्यादा है।

Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुम्भ में उमड़ पड़ा है आस्था का सागर। मौनी अमावस्या पर एक दिन में 10 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। प्रयागराज में एक दिन में श्रद्धालुओं की ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से ज्यादा है। आपके मन में सवाल उठता होगा आखिर क्यों विशेष है ये दिन.. आखिर क्यों एक दिन में एक शहर में इतने लोग पहुंचते हैं। क्या आप इसका रहस्य जानते हैं?

महाकुम्भ के द्वितीय और सबसे बड़े अमृत स्नान के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से खिंचे चले आ रहे हैं श्रद्धालु। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यही वो दिन है जब मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में कुम्भ कलश से छलक कर गिरी थीं अमृत की बूंदें।

सृष्टि के पहले मानव, पहले मुनि भगवान मुनि का जन्मोत्सव- मौनी अमावस्या

प्रयागराज महाकुम्भ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ने वाला है। दो दिन में 3 करोड़ श्रद्धालु महाकुम्भ में स्नान कर चुके हैं। मौनी अमावस्या पर मौत व्रत धारण कर स्नान करने का महत्व है क्योंकि मौनी अमावस्या माना जाता है सृष्टि के पहले मुनि मनु का जन्मोत्सव। सृष्टि के प्रथम पुरुष मुनि के नाम पर होता है मौनी व्रत। मौनी अमावस्या का ये पर्व महाकुम्भ का सबसे बड़ा पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रिवेणी में मौनी अमावस्या पर होती है अमृत वर्षा।

स्नान, दान की सबसे बड़ी अमावस्या

13 जनवरी से प्रारंभ हुए प्रयागराज महाकुम्भ में अब तक 15 करोड़ श्रद्धालु पावन स्नान कर चुके हैं, लेकिन केवल एक दिन मौनी अमावस्या को 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं तो इसका कारण ये है कि ये स्नान, दान और पुण्य अर्जित करने का सबसे बड़ा पर्व है। मौनी अमावस्या पर पावन त्रिवेणी में स्नान जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त करने का मार्ग है, मोक्ष का मार्ग है। अमावस्या वो पर्व है जब पृथ्वी पर नो मून डे होता है, यानी अमावस्या पर चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। चूंकि चंद्रमा मन का कारक माना जाता है, इसलिए जब चंद्रमा का प्रभाव धरती पर नहीं होता है तो आप मौन रहकर मौन की ताकत यानी power of silence का अनुभव करते हैं। मौनी अमावस्या के इसी महत्व को हमारे सनातन ऋषियों, मुनियों ने पहचाना है।

पितरों के तर्पण-शांति का पर्व मौनी अमावस्या

प्रयागराज महाकुम्भ में मौनी अमावस्या पर सबसे ज्यादा श्रद्धालु आ रहे हैं। पूरे महाकुम्भ में स्नान, दान से जो पुण्य फल प्राप्त होता है.. वो श्रद्धालु स्वयं के लिए, अपने बच्चों के लिए, अगली पीढ़ी के लिए अर्जित करता है लेकिन मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी स्नान से जो पुण्य फल प्राप्त होता है वो आपके पूर्वजों को भी तर्पण और शांति प्रदान करता है.. और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। महाकुम्भ का सबसे बड़ा पर्व संभालने में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री से लेकर गृह मंत्री और प्रधानमंत्री तक हर पल की निगरानी कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें- Maha Kumbh 2025: मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालु कर सकते हैं संगम में स्नान


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

Gold Silver Price Today
सोने की कीमत में राहत, जानें देश के 10 बड़े शहरों में क्या है भाव
Chhattisgarh News
नक्सल प्रभावित इलाके CRPF की नई पहल, बीजापुर सीमा पर खोला स्कूल
Guntur Road Accident
आंध्र प्रदेश में बस और ऑटोरिक्शा की टक्कर, तीन महिलाओं की मौत
New Delhi Railway Station Stampede
कैसे हुई नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, जानें पीछे 5 बड़े कारण
Shreyanka Patil
WPL 2025 की शुरुआत में RCB को लगा झटका, श्रेयंका पूरे टूर्नामेंट से हुईं बाहर
Assam Legislative Assembly Session
कोकराझार में पहली बार हुई असम विधानसभा की बैठक, CM सरमा ने बताया ऐतिहासिक पल