झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने सोमवार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया। गठबंधन सरकार के पक्ष में 47 वोट पड़े वहीं प्रस्ताव के खिलाफ में 29 वोट पड़े। विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने सदन में प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में मौजूद सदस्यों को एक-एक कर अपने स्थान पर खड़े होने को कहा। 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए आधा रास्ता 41 है।
विश्वास मत के बाद क्या बोले चंपई सोरेन ?
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने फ्लोर टेस्ट के बाद कहा कि धन्यवाद, आभार !! झारखंड विधानसभा में विश्वास मत के दौरान हमारी सरकार का समर्थन करने के लिए गठबंधन में शामिल सभी माननीय विधायकों को धन्यवाद। हमारी एकता ने राज्य को अस्थिर करने के षड्यंत्र को विफल कर दिया। हमारी सरकार हेमंत बाबू द्वारा शुरू की गई योजनाओं को गति देकर, राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों एवं आम लोगों के जीवन- स्तर में बदलाव लाने का प्रयास करेगी। जय झारखंड !!
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने विश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि केंद्र एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहा है। मुख्यमंत्री ने हेमंत सोरेन का समर्थन करते हुए कहा “जो केंद्र सरकार पर शासन कर रहा है, उसने एजेंसियों का दुरुपयोग किया। 2019 में हेमंत को जनादेश मिला। ऐसे मुख्यमंत्री को भूमि घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया है।”
क्या बोले आलमगीर आलम ?
झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि फ्लोर टेस्ट में वही हुआ जो हमने सोचा था। हम पहले दिन ही समर्थन पत्र लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे थे। हमने उन्हें बताया था कि 43 विधायकों ने इसपर हस्ताक्षर किए हैं और हम 47 विधायक हैं। आज, वही साबित हो गया। कैबिनेट विस्तार को लेकर उन्होंने कहा कि जल्द होगा।
कथित भूमि घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी फ्लोर टेस्ट में भाग लेने के लिए विधानसभा में मौजूद थे। रांची की एक विशेष अदालत ने सोरेन को विश्वास-मतदान में भाग लेने की अनुमति दी।
बहस में हिस्सा लेते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी समाज में आदिवासियों और दलितों पर कई तरह से हो रहे अत्याचार का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा अगर आप पीछे मुड़कर देखें तो आदिवासियों, पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न को कई तरह से अलग-अलग रूपों में सामने लाया गया है। 31 जनवरी इस उत्पीड़न का एक उदाहरण है।