हरियाणा में सियासी उठा-पठक के बाद नायब सिंह सैनी को कमान सौंपी गई है। नायब सिंह सैनी ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। इसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा। बीजेपी उनके ओबीसी होने का फायदा उठाने के लिए लोकसभा चुनाव में बड़ा दांव चल सकती है।
बता दें कि हरियाणा में ओबीसी वर्ग की आबादी 31 प्रतिशत है। वहीं, जाटों की आबादी 25 प्रतिशत है। इसके अलावा अनुसूचित जाति की आबादी 21 प्रतिशत है। हरियाणा में सैनी जाति की संख्या 8 प्रतिशत है। यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, हिसार औऱ रेवाड़ी में सैनी की अच्छी खासी आबादी है। यही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सारी सीटें जीती थीं। मतलब 10 की 10 सीटें जीती थीं।
बता दें कि 2023 में पहलवानों की नाराजगी ने हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया था। इसलिए बीजेपी दूसरी जाति की आबादी को ओर भी ध्यान दे रही है। ऐसे में नायब सिंह सैनी के सामने लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने और सभी लोकसभा सीटों को बीजेपी के खाते में डालने की चुनौती होगी।
आज सुबह मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ ही उनकी कैबिनेट ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद नायब सिंह सैनी की सीएम पद के लिए घोषणा हुई। नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद हैं। नायब सिंह पूर्व सीएम महोहर लाल खट्टर के करीबी रहे हैं। नायब सिंह सैनी का राजनीतिक सफर 1996 में बाजेपी के सहयोगी के साथ शुरू हुआ था। इसके बाद वह आगे बढ़ते गए।
नायब सिंह सैनी वर्ष 2002 में अंबाला से बीजेपी के युवा मोर्चा के जिला महामंत्री बने। इसके बाद 2009 में सैनी हरियाणा के बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे। फिर साल 2012 में वह अंबाला बीजेपी के जिला अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2014 में नारायण गढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। नायब सिंह सैनी को 2015 में हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया।
लोकसभा चुनाव 2024 में ओबीसी वोट बैंक को लेकर सभी पार्टियों में होड़ लगी हुई है। सपा, कांग्रेस, बसपा और बीजेपी सभी ओबीसी मतदाता को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं। इसी कारण हर लोकसभा क्षेत्र की स्थिति को ध्यान में रखकर पार्टियां प्रत्याशियों को उतार रही हैं।