Lok Sabha Election 2024: पूर्व भारतीय क्रिकेटर कीर्ति आजाद और यूसुफ पठान तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में चूरू से राहुल कस्वां का टिकट काटकर पैरालंपियन देवेंद्र झाझरिया को टिकट दिया है। बता दें, देवेंद्र झाझरिया दो बार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
Lok Sabha Election 2024 के सातों चरण के चुनाव अब समाप्त हो चुके हैं। सभी पार्टियों ने इस चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। हर बार की तरह इस बार के Lok Sabha Election 2024 में भी अभिनेता-अभिनेत्रिया, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, खिलाड़ी भी राजनीति के पिच पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। Lok Sabha Election 2024 में दो विश्व कप विजेता क्रिकेटर भी राजनीति की पिच पर छक्के लगाने को बेताब हैं। वहीं एक पैरालंपियन भी राजनीति के मैदान में पदक जीतने को बेताब है।
युसूफ पठान और कीर्ति आजाद(Lok Sabha Election 2024)
दो विश्व कप विजेता क्रिकेटर कीर्ति आजाद और यूसुफ पठान बंगाल की राजनीतिक पिच पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 65 साल के कीर्ति आजाद 1983 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे। अब वह बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं 41 साल के यूसुफ पठान मुर्शिदाबाद की बहरामपुर सीट से मैदान में उतरे हैं। यूसुफ पठान 2011 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे हैं। ये दोनों तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और राजनीतिक दिग्गजों के खिलाफ मुकाबले में हैं। आजाद बर्धमान-दुर्गापुर से पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि पठान पांच बार के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। कीर्ति आजाद पहले कांग्रेस और अब टीएमसी में जाने से पहले बीजेपी से सांसद और विधायक दोनों रहे हैं।
कद्दावर नेता अधीर रंजन के खिलाफ पठान
बहरामपुर सीट पर दिग्गज कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतारा है। इस सीट पर लगभग 52 फीसदी मुस्लिम आबादी है। भाजपा ने निर्मल साहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। 52 फीसदी मुस्लिम आबादी को देखते हुए तृणमूल ने यहां पर बड़ा दांव खेला है। यूसुफ इस चुनाव में काफी मेहनत भी कर रहे हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि वह लंबी राजनीति के लिए आए हैं और वह शहर के लोगों से जुड़े रहना चाहते हैं। यूसुफ पठान ने फरवरी 2021 में खेल के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया था। यूसुफ पठान ने कहा, “यहां के लोगों ने पहले ही मुझे अपने बेटे, भाई या दोस्त के रूप में स्वीकार कर लिया है। चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, मैं उनके साथ रहूंगा। बेहतर भविष्य के लिए मैं उनके साथ रहूंगा, जिसके वे हकदार हैं। ये लोग मेरी ताकत हैं और,’ इंशाल्लाह’, मैं जीतूंगा। जिस तरह की सकारात्मक मानसिकता में मैं इस समय हूं, मैं हार की संभावना के बारे में भी नहीं सोच रहा हूं।”
कार्ति आजाद
बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट भाजपा के प्रत्याशी दिलीप घोष, तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद और कांग्रेस-माकपा यानी I.N.D.I.A गठबंधन के साझा उम्मीदवार सुकृति घोषाल अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। बर्धमान-दुर्गापुर में भाजपा के दिलीप घोष और तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आज़ाद के बीच मुकाबला व्यक्तित्वों का टकराव है जो नाटकीयता से भरपूर है और अप्रत्याशित क्षेत्र में स्थापित है। कीर्ति आजाद अपने ही अंदाज में अपना चुनाव प्रचार करते नजर आए। पूर्व दाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ स्पिनर कीर्ति आजाद टिकट मिलने के बाद मैदान पर डटे हुए हैं। वह अपने चुनाव के भाषण में खेलों को भी बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं।
देवेंद्र झाझरिया
देवेंद्र झाझरिया को राजस्थान की चूरू लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। 42 साल के झाझरिया खेल जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं और वह पैरा भाला फेंक एथलीट (जैवलिन थ्रोअर) रह चुके हैं। झाझरिया का जन्म चुरू में हुआ था और अब वह चुरू से ही अपनी राजनीति की पारी की शुरूआत करेंगे। भारतीय पैरालंपिक देवेन्द्र झाझरिया भाला फेंक खेल से जुड़े हैं। उन्होंने एथेंस में 2004 के ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में भाला फेंक में अपना पहला स्वर्ण जीता और अपने देश के लिए पैरालिंपिक में एकमात्र दूसरे स्वर्ण पदक विजेता बने। वह इतिहास में एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने ओलंपिक / पैरालिंपिक में दो व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते हैं।
चुरू सीट पर हो सकता है कड़ा मुकाबला
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए राहुल कस्वां दो बार के सांसद है और उनका राजनीतिक बैकग्राउंड है, जिन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़कर मुकाबले को कड़ा बना दिया है। दूसरी ओर खेल से राजनीति की पारी शुरू करने वाले भाजपा के पैराओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी देवेन्द्र झाझरिया हैं। दोनों के बीच में मुकाबला कड़ा है। दोनों की जीत के प्रति आश्वस्त है, लेकिन जनता ने किसे सांसद चुना है यह अभी इवीएम बंद है। इवीएम में बंद प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला तो चार जून की मतगणना में ही होगा।
राजस्थान की चूरू लोकसभा सीट वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई। अब तक हुए 13 लोकसभा चुनावों में दो बार जनता पार्टी और चार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। एक बार जनता दल और भाजपा छह बार चुनाव जीतने में कामयाब रही। पिछले 25 साल से यानी वर्ष 1999 से लेकर अब तक चूरू लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। पहले तीन बार रामसिंह कस्वां और बाद के दो चुनाव में उनके बेटे राहुल कस्वां सांसद चुने गए। कस्वां परिवार के जुड़े होने से भाजपा हमेशा बढ़त में रही लेकिन इस बार कस्वां परिवार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। राहुल कस्वां इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। वहीं भाजपा ने पैराओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी देवेन्द्र झाझरिया को टिकट देकर बड़ा दांव खेला है।
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अब देखना ये है कि खेल के मैदान पर अपने खेलों से लोहा मनवाने वाले ये दिग्गज क्या राजनीतिक पिच पर भी सफल होते हैं या नहीं।