Vaishakh Month 2024: आपने मंदिरों में देखा होगा कि कुछ मौकों पर शिवलिंग के ऊपर पानी की मटकी बांधी रहती है, जिससे रूई के जरिए जल शिवलिंग पर गिरता रहता है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह मटकी शिवलिंग के ऊपर क्यों और कब बांधी जाती है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं…
साल का दूसरा महीना होता है वैशाख
दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार, साल का दूसरा महीना वैशाख होता है। इसी महीने में शिवलिंग के ऊपर पानी की मटकी बांधी जाती है। इस साल वैशाख महीना 24 अप्रैल से लगा है। शिवलिंग के ऊपर पानी की मटकी बांधना यह संकेत देता है कि गर्मी बढ़ गई है। इसलिए हमें ज्यादा पानी पीना चाहिए। इससे हम बीमारियों से बचे रहेंगे।
शिवलिंग के ऊपर पानी से भरी मटकी को क्या कहते हैं?
शिवलिंग के ऊपर पानी से भरी मटकी को गलंतिका कहते हैं। इसमें एक छोटा सा छेद बनाया जाता है और फिर उसमें रुई लगा दी जाती है। इस रुई से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है। गलंतिका का मतलब जल पिलाने का बर्तन है। यह धातु या मिट्टी का बना हो सकता है।
शिवलिंग के ऊपर पानी से भरी मटकी क्यों बांधते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन से उत्पन 14 रत्नों में से जब विष निकला तो पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए विष का रसपान कर लिया। इससे उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगा। इसे शांत करने के लिए उन्हें देवताओं ने शीतल जल से स्नान करवाया। तभी से यह मान्यता है कि बैशाख मास में जब गर्मी बढ़ती है तो भगवान शिव के ऊपर विष का असर होने लगता है और शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। इस तापमान को नियंत्रित करने के लिए शिवलिंग के ऊपर जल से भरी मटकी बांधी जाती है।