Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कन्याकुमारी के विवेकांनद मेमोरियल (Vivekananda Rock Memorial) में चले गए, जहां वो करीब 45 घंटों तक ध्यान साधना में लीन रहेंगे। वे अगले 35 घंटे तक मौन धारण करेंगे। पीएम मोदी जहां ध्यान कर रहे हैं, वहां स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) की मूर्ति है। जानकारी के मुताबिक, ये वही जगह है, जहां 1892 में स्वामी विवेकानंद ने ध्यान साधना की थी। समुद्र के बीच स्थित स्मारक पर पीएम मोदी की ध्यान साधना और उनकी सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण का प्रचार थमते ही पीएम मोदी गुरुवार की शाम कन्याकुमारी (Kanyakumari) पहुंचे। कन्याकुमारी पहुंचकर पीएम ने सबसे पहले भगवती देवी अम्मन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। फिर वह समुद्र के बीच स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचे। यहां पीएम मोदी की 45 घंटे की ध्यान साधना जारी है। वे यहां 1 जून तक ध्यानमग्न रहेंगे। इन 45 घंटों तक पीएम मोदी केवल नारियल पानी, अंगूर का रस और अन्य तरल पदार्थ का सेवन करेंगे। वह ध्यान कक्ष से बाहर नहीं निकलेंगे और 35 घंटे तक मौन रहेंगे।
पीएम की सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम
बता दें, पीएम मोदी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के बाद केदारनाथ गुफा में इसी तरह ध्यानमग्न हुए थे। मिली जानकारी के मुताबिक, 1 जून को अपने प्रस्थान से पहले पीएम मोदी यहां संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा का दौरा भी कर सकते हैं। वहीं, पीएम मोदी की यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पीएम मोदी के प्रवास के दौरान 2000 पुलिस बल की तैनाती की गई है। इसके अलावा, भारतीय तटरक्षक बल और भारतीय नौसेना को भी पीएम की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है।
“एकाग्रता सभी ज्ञान का सार है”
स्वामी विवेकानंद को पश्चिमी देशों में ध्यान का प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने महसूस किया कि “एकाग्रता सभी ज्ञान का सार है” और ध्यान किसी की एकाग्रता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि ध्यान न केवल किसी की एकाग्रता में सुधार करता है, बल्कि उसके व्यवहार नियंत्रण में भी सुधार करता है।
“1892 का कन्याकुमारी संकल्प”
स्वामी विवेकानंद 24 दिसंबर 1892 को कन्याकुमारी पहुंचे और 25 दिसंबर से 27 दिसंबर तक तीन दिनों तक समुद्र के बीच एक बड़ी चट्टान पर भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य के पहलुओं पर ध्यान लगाया। वहां उन्होंने कथित तौर पर “एक भारत का विजन” देखा और मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित करने का संकल्प लिया। 1892 के इस संकल्प को “1892 का कन्याकुमारी संकल्प” के रूप में जाना जाता है।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल का महत्व
स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल का एक और बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इस शिला के कण-कण में भगवान शिव और देवी पार्वती की शक्ति समाहित है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आदिशक्ति देवी पार्वती का कन्यारूप ही कन्याकुमारी है। यहां देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यहां उन्हें देवी कन्या, देवी कुमारी और देवी अम्मन भी कहा जाता है।