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कैसे पूरी होगी मोदी की गारंटी, UCC और ‘अग्निवीर’ फंसा ?

Lok Sabha Election Result 2024: प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, उन्हें NDA संसदीय दल का नेता चुना जा चुका है। मोदी प्रधानमंत्री तो बन रहे हैं, लेकिन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की बैसाखियों के सहारे। सूत्रों के हवाले से जिस तरह की खबरें आ रही हैं कि टीडीपी होम और फाइनेंस समेत 6 बड़े मंत्रालय और स्पीकर का पद मांग रही हैं।
Lok Sabha Election Result 2024 | Pm Modi | shreshth bharat |

Lok Sabha Election Result 2024: प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, उन्हें NDA संसदीय दल का नेता चुना जा चुका है। मोदी प्रधानमंत्री तो बन रहे हैं, लेकिन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की बैसाखियों के सहारे। सूत्रों के हवाले से जिस तरह की खबरें आ रही हैं कि टीडीपी होम और फाइनेंस समेत 6 बड़े मंत्रालय और स्पीकर का पद मांग रही हैं और जिस तरह जेडीयू खुलकर अग्निवीर और UCC जैसी योजनाओं की समीक्षा की बात कर रही है उससे मोदी और शाह की टीम निश्चित तौर पर मन मसोस रही होगी। क्या नई मोदी सरकार में अमित शाह गृह मंत्री नहीं रह पाएंगे, क्या मोदी और शाह की टीम UCC और अग्निवीर जैसी योजनाओं पर आगे बढ़ पाएगी। आइए जानते हैं…

मोदी सरकार 3.O में इनकी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी है। नीतीश कुमार के सिपहसालार त्यागी जी बिल्कुल साफ-साफ कह रहे हैं कि NDA को समर्थन तो है, लेकिन अग्निवीर योजना की समीक्षा होनी चाहिए और यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता पर सभी सहयोगी दलों की सहमति के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। वहीं, मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी को लेकर अभी तक नीतीश कुमार ने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर है कि उनकी पार्टी भी कम से तीन मंत्रालय मांग रही है। मुंगेर से जीते जेडीयू के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह इस बात के संकेत दे चुके हैं।

अग्निवीर और यूसीसी मोदी और बीजेपी की ऐसी परियोजनाएं हैं जिन पर मोदी तीसरे कार्यकाल में आगे बढ़ना चाहते हैं। इसका एलान वे चुनाव में करते रहे हैं। मोदी कहते रहे हैं कि तीसरे कार्यकाल में बेहद बड़े और कड़े फैसले लिए जाने हैं, लेकिन विपक्ष की बात तो छोड़िए अब उनकी सरकार में शामिल साथी ही इस पर मोदी सरकार को आगे नहीं बढ़ने देंगे।

अग्निवीर योजना का यूपी और बिहार में जमकर विरोध हुआ है। हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में इसके खिलाफ जमकर आवाजें उठीं औऱ विपक्ष ने इस मुद्दे पर युवाओं के गुस्से को लपका, जिसका इंडिया गठबंधन को चुनाव में फायदा भी हुआ है। यूपी से 37 सीटें जीतकर आए अखिलेश यादव कह रहे हैं कि अब विपक्ष की आवाज मजबूत है। अग्निवीर योजना को आगे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे।

तीसरी बार मोदी सरकार के शपथग्रहण से पहले जैसे हालात बनते दिख रहे हैं उससे साफ लग रहा है कि तीसरी बार सरकार बनाने के बावजूद क्या मोदी की गारंटी अभी भी पूरी हो पाएगी। एनडीए के घटक दलों की वैसाखी पर बन रही नई सरकार के घटक दलों को क्या अभी भी मोदी की दी गई गारंटी मंजूर होगी। हकीकत ये है कि मोदी की कई फ्लैगशिप योजनाएं अब ठंडे बस्ते में जाने वाली हैं। यूसीसी और अग्निवीर जैसी मोदी सरकार की कम से कम चार बड़ी योजनाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

नीतीश कुमार की जेडीयू ने तो सरकार बनने से पहले ही साफ कर दिया है कि यूसीसी और अग्निवीर पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। उसी तरह टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू भी यूसीसी को लेकर पहले से ही ऐसी बातें करते आ रहे हैं। नई सरकार के गठन से पहले ही एनडीए के घटक दलों ने बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। बीजेपी पर दबाव दो तरह से है। पहला मंत्रिमंडल बंटवारे को लेकर और दूसरा मोदी की फ्लैगशिप योजनाओं को लेकर। यूसीसी, अग्निवीर, वन नेशन वन इलेक्शन और परिसीमन सहित कुछ और ऐसी योजनाएं हैं, जिसे लेकर सहयोगी दलों ने बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। मोदी की अग्निवीर योजना का जेडीयू ने खुलेआम विरोध शुरू कर दिया है। बीजेपी और मोदी से नीतीश कुमार की पार्टी जितनी HARD BAGAINING कर रही है, उसके लिए अग्निवीर और UCC का मुद्दा प्रेशर टैक्टिस भी हो सकता है।

NDA में बीजेपी के बाद 16 सीटें लाने वाले सबसे बड़े घटक दल टीडीपी के मुखिया चंद्र बाबू नायडू की महत्वाकांक्षाएं जाग गई हैं। सूत्रों के हवाले से जो खबरें सामने आ रही हैं, उनके मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की पार्टी अपने लिए केंद्र सरकार के 6 बड़े मंत्रालय और लोकसभा स्पीकर का पद मांग रही है। मंत्रालय भी कोई ऐसे वैसे नहीं बल्कि टीडीपी को होम, फाइनेंस, डिफेंस और रेलवे जैसे मंत्रालय चाहिए। टीडीपी का रुख एनडीए की बैठक की तस्वीरों से साफ दिख रहा है। बुधवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर जो बैठक हुई, उसमें प्रधानमंत्री के बगल में सबसे पहले चंद्रबाबू नायडू ही बैठे दिखाई दिए। उसके बाद नीतीश कुमार मोदी के साथ अक्सर ऐसी बैठकों में अमित शाह बगल में बैठे दिखाई देते थे, लेकिन इस बैठक में अमित शाह को मोदी से काफी दूर वाली कुर्सी मिली। इन तस्वीरों के कई मायने निकाले जा रहे हैं। अब इस बार की मोदी सरकार में अमित शाह को गृह मंत्रालय जैसा पोर्टपोलियो नहीं मिलेगा, क्या अमित शाह इस सरकार में मोदी के बाद नंबर 2 नहीं रहेंगे?

यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता पर चंद्रबाबू नायडू भी यूसीसी के विरोध में रहे हैं। नायडू ने 20 जुलाई 2023 को पार्टी दफ्तर में मिलने आए मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं से कहा था कि वे उनके साथ हैं और यूसीसी को लेकर मुस्लिम समाज की चिंताओं को संसद में उठाएंगें। यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी को नरेंद्र मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। उत्तराखंड की धामी सरकार ने तो चुनाव से कुछ महीने पहले इसे अपने यहां लागू भी कर दिया। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया। उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के बाद पुष्कर सिंह धामी का कद बीजेपी में एकदम से बढ़ गया। बीजेपी शासित कई और राज्यों ने भी कहा कि वे उत्तराखंड की तर्ज पर अपने यहां भी यूसीसी लागू करेंगें, लेकिन अब जेडीयू और टीडीपी जैसे बिग प्लेयर के रहते मोदी इस योजना पर कैसे आगे बढ़ पाएंगे.. ये बड़ा सवाल बना हुआ है।

कुल मिलाकर मोदी की नई सरकार के गठन से पहले ही दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। दबाव मोदी की गारंटी या उनकी कई योजनाओं को लेकर है। साथ ही मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर भी। हालांकि, सार्वजनिक तौर पर तो किसी पार्टी ने ये नहीं कहा है कि उसे कौन कौन सा मंत्रालय चाहिए लेकिन जानकारों का कहना है कि नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए की बुधवार को हुई बैठक में नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू ने मोदी जी को मनचाहे मंत्रालयों की लिस्ट पकड़ा दी है।

केसी त्यागी का कहना है कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी के समय भी जेडीयू एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी। केसी त्यागी के मुताबिक वाजपेयी सरकार में जेडीयू के पास रक्षा मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, संचार मंत्रालय और टेलीकॉम मंत्रालय था। त्यागी ने इन मंत्रालयों का नाम लेकर ये इशारा कर दिया है कि जेडीयू नई सरकार में कौन कौन सा मंत्रालय चाह रही है। कुल मिलाकर सीटें कम होने के बाद बीजेपी इस बार एनडीए के साथ मिलकर सरकार तो बना रही है लेकिन मोदी के लिए गठबंधन की इस सरकार को चलाना चुनौतीपूर्ण साबित होगा।

नरेंद्र मोदी दो बार से भारी भरकम सीटों के साथ सरकार चलाते रहे हैं और घटक दलों का सरकार पर न तो दबाव था और ना ही उनका कोई डर। NDA वजूद में तो था लेकिन सिर्फ नाम के लिए। 2020 जब सुखबीर बादल की शिरोमणि अकाली दल NDA से अलग हुई थी तो हरसमिरत कौर बादल ने साफ कहा था कि बीजेपी को अब NDA की परवाह नहीं है, NDA की तो कोई बैठक ही नहीं होती है, लेकिन देश की जनता ने अब मोदी और बीजेपी को जो जनादेश दिया है, उसमें NDA की परवाह करनी पड़ेगी भले ही मन मारके।

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