2020 में चीन ने गलवान में जो हरकत करने की कोशिश की, वो जगजाहिर है। लेकिन अब वैसी हकरत दोबारा चीन नहीं कर पाएगा, क्योकि अब हमारी सेना बिना हथियारों के लड़ाई लड़ने की ट्रैनिंग ले रही है। अब चीन को उसी की भाषा में करारा जवाब दिया जाएगा।
LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल पर भारतीय सेना ने अनआर्म्ड कॉम्बेट यानी बिना हथियारों की लड़ाई को सैनिकों की रेगुलर एक्सरसाइज का हिस्सा बनाया है, ताकी एलएसी पर हर चुनौती का सामना सेना कर सके। सैनिक हर सुबह अपनी फिजिकल ट्रेनिंग के साथ अनआर्म्ड कॉम्बेट की प्रैक्टिस भी कर रहे हैं। साथ ही यहां के मौसम, परिस्थितियों और चुनौतियों को देखते हुए बैटल प्रिपेयर्डनेस इफिसिएंसी टेस्ट के लिए भी हर रोज ड्रिल कर रहे हैं, यानी हर तरह के खतरे से निपटने की तैयारी सेना कर रही है। LAC पर तैनात सैनिक हर सुबह गतका मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करते हैं।
हर सुबह LAC पर सैनिक बहुत ही आक्रामक तरीके से दूसरे सैनिक को धक्का दे रहे हैं और जमीन पर गिराकर उस पर हावी हो रहे हैं। बहुत ही अग्रेसिव तरीके से गुत्थम गुत्था की लड़ाई हो रही है यह उस ट्रेनिंग से अलग है जो सैनिकों को लड़ाई के लिए दी जाती है। दरअसल भारत और चीन के बीच तय प्रोटोकॉल और समझौते यह कहते हैं कि एलएसी पर पट्रोलिंग के दौरान दोनों तरफ से सैनिकों को यह कोशिश करनी चाहिए कि तनाव ना बढ़े।
ऐसी स्थिति ना हो कि फायरिंग करनी पड़े इसलिए एलएसी पर जब भी भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना सामना होता है और तनाव बढ़ता है तो धक्का- मुक्की होती है और यह बढ़कर कई बार गुत्थम -गुत्था की लड़ाई तक भी पहुंच जाती है। दोनों तरफ से यही कोशिश रहती है कि फायरिंग ना हो। एलएसी पर पूरी कोशिश रहती है कि संयम बरता जाए। लेकिन चीनी सैनिक अगर एलएसी पार करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें बिना फायरिंग के गुत्थम-गुत्था की लड़ाई में सबक सिखाया जाता है। उसी की ट्रेनिंग इस वक्त भारतीय सेना को LAC पर दी जा रही है, क्योकि मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भारतीय सैनिकों को और कॉन्फिडेंस और मजबूती दे रही है।
दरअसल सेना ने ईस्टर्न सेक्टर के साथ ही सेना की उत्तरी कमान ने भी एलएसी पर तैनात सैनिकों को अनआर्म्ड कॉम्बेट की ट्रेनिंग देनी शुरू की है। सेना की उत्तरी कमान के पास ही जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख तक एलओसी और एलएसी का जिम्मा है। एलएसी पर चीनी सैनिकों से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों को यहां इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा की ट्रेनिंग दी जा रही है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा आखिर क्या है तो आपको बता देते हैं कि इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा, कुंग फू, कराटे की तरह कोई पुरानी पद्धति नहीं है, बल्कि इसे रीयल टाइम कंडीशन के हिसाब से डेवलप किया गया है, यह बहुत ही मॉर्डन और टाइमिंग के हिसाब से चलती है, एक तरह से कर्व मागा वॉइलेंट अटैक के दौरान सिस्टेमेटिक तरह से सेल्फ डिफेंस के तरीके सिखाता है, इसमें आपको अपने एल्बो, पैर, कंधों, हाथों का तेजी से प्रयोग कर ना केवल बचाव करना होता है बल्कि हमला भी करना होता है।
इजरायली सेना दुनिया के दूसरे मुल्कों की तुलना में एकदम अलग है। उसके पास दुश्मन की हर चीज से निपटने के लिए बेहद अलग टेक्निक है, हथियार हैं, प्लानिंग हैं। दुनिया की इस सबसे खतरनाक सेना के पास मार्शल आर्ट का एक फार्म और सेल्फ डिफेंस की टेक्निक कर्व मागा है। ये बेहद घातक है, इस सेल्फ डिफेंस टेक्निक को खुद इजराइली सेना ने ही डवलप किया है। आत्मसुरक्षा की यह विधि इतनी बेहतरीन है कि इसे दुनिया के कई देशों की सेनाओं के जवानों ने सीखा है।
इसमें फोर्स और ताकत का बेहद अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। कर्व मागा की ट्रेनिंग के दौरान सोल्जर को बताया जाता है कि आप कैसे रियल टाइम वॉइलेंट सिचवेशन को हेंडल कर सकते हैं। इस टेक्निक में वो सारे दांव पेंच होते हैं, जो आत्मरक्षा में कारगर होते हैं। हमला किसी भी चीज से किया जाए, कर्व मागा में फूर्ती के साथ निपटने की टेक्निक सिखाई जाती है, और अब यही टेक्निक LAC पर भारतीय सेना सीख रही है। वैसे तो भारतीय सेना के पास हर वो गुण है जिससे भारतीय सेना दुश्मनों को करारा जवाब दे सके लेकिन एलएसी पर इस नई टैक्निक को सीखने से चीन को करारा जवाब दिया जा सकेगा।