Bangladesh Violence: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज विदेश मंत्री एस जयशंकर और सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक की। इस बैठक में बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चर्चा हुई। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा देकर दिल्ली आ चुकी हैं। हिंसा को देखते हुए भारत ने बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
बता दें, भारत के पड़ोशी देश बांग्लादेश में हिंसा की वजह से सीमावर्ती इलाकों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों पर भारत के अधिकारी नजर बनाए हुए है कि कोई बांग्लादेशी प्रवासी अवैध तरीके से अंदर ना आ सके। वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को लेकर चिंता बनी हुई है।
लोकसभा में एस जयशंकर ने कही बड़ी बात
बांग्लादेश की हिंसा को देखते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने लोकसभा में कहा कि बांग्लादेश में करीब 19,000 भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिनमें से करीब 9,000 छात्र हैं। उच्चायोग की सलाह पर जुलाई के महीने में ही ज़्यादातर छात्र भारत लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रालय “अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निकट और निरंतर संपर्क में है।” उन्होंने कहा कि इस जटिल स्थिति के मद्देनजर हमारे सीमा सुरक्षा बलों को भी अत्यंत सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा, “विभिन्न समूहों और संगठनों द्वारा उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए पहल की खबरें हैं। हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन स्वाभाविक रूप से हम तब तक बहुत चिंतित रहेंगे, जब तक कानून और व्यवस्था स्पष्ट रूप से बहाल नहीं हो जाती।”
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बांग्लादेश में स्थिति अभी भी सुधार नहीं- एस जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में स्थिति अभी भी सुधर नहीं रही है। “सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने 5 अगस्त को राष्ट्र को संबोधित करते हुए एक बयान जारी किया था। उन्होंने बांग्लादेश की जिम्मेदारी संभालने और अंतरिम सरकार गठित करने की बात कही थी। बांग्लादेश में पिछले महीने से जारी हिंसा में 300 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
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बता दें, इस प्रदर्शन की शुरुआत बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हुआ था। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि शेख हसीना का पार्टी के लोगों को इसका सीधा फायदा होगा। यह निर्णय उनके पक्ष में हैं और उन्होंने इसके स्थान पर योग्यता आधारित प्रणाली की मांग की थी, लेकिन सरकार द्वारा विरोध प्रदर्शन पर की गई कार्रवाई के बाद मामला और बिगड़ गया और ध्यान “अधिनायकवादी” शासन पर चला गया। ढाका की सड़कों पर शेख हसीना के पद छोड़ने की मांग को लेकर नारे गूंज उठे।