रांची की एक विशेष अदालत ने साइबर अपराध मनी लॉन्ड्रिंग मामले में धोखाधड़ी वाले फोन कॉल के माध्यम से भोले-भाले लोगों से उनकी गाढ़ी कमाई लूटने वाले एक व्यक्ति को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
ED के अधिकारियों ने आज बताया कि विशेष PMLA अदालत ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। ED के अनुसार, आरोपी संतोष यादव के आवास पर 2018 में 11 सितंबर को छापा मारा गया था।
ED ने आरोपी संतोष यादव के खिलाफ 29 अगस्त, 2022 को विशेष (PMLA) अदालत, रांची के समक्ष अभियोजन शिकायत दर्ज की है। जिसमें फास्ट-ट्रैक मोड में सुनवाई तेज की गई, जिसके परिणामस्वरूप पूरी सुनवाई 17 महीने के भीतर पूरी हो गई और विशेष PMLA कोर्ट, रांची ने उक्त आरोपी को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
ED ने IPC की धारा, 1860 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध करने के लिए यादव के खिलाफ झारखंड पुलिस द्वारा दायर एफआईआर और आरोप पत्र के आधार पर जांच शुरू की। ED द्वारा जांच के दौरान, एक तलाशी भी ली गई। 11 सितंबर, 2018 को आरोपी संतोष यादव के परिसर में पीएमएलए, 2002 की धारा 17 (1) के तहत, जिसके दौरान कुछ आपत्तिजनक सबूतों के साथ चार मोबाइल फोन और 17 सिम कार्ड जब्त किए गए थे।
इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, इस निदेशालय ने आरोपी संतोष यादव के खिलाफ पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत उक्त अभियोजन शिकायत दर्ज की। ED द्वारा दायर अभियोजन शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि यादव खुद को बैंक अधिकारी बताकर निर्दोष लोगों को धोखा देते थे और उनके बैंक खातों से अवैध रूप से पैसे निकालते और स्थानांतरित करते थे।
बयान में कहा गया है कि अपराध की ऐसी आय विभिन्न बैंक खातों और मोबाइल वॉलेट के माध्यम से की जाती थी, और बाद में नकद में निकाल ली जाती थी।
इसके अलावा अदालत ने संतोष यादव को धारा 3 के तहत परिभाषित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी और अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय ठहराया है।