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दिल्ली में क्यों जल रहे हैं हॉस्पिटल, 24 महीने में 66 में लगी आग

राजधानी दिल्ली के एक शिशु देखभाल केंद्र में रविवार को आग लग गई। आग की वजह से सात नवजात बच्चों की मौत हो गई। पिछले दो सालों में दिल्ली के 66 अस्पतालों में आग लग चुकी है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में दिल्ली में 30 अस्पतालों में आग लगी। वहीं, पिछले साल 36 अस्पतालों में आग लगने के मामले दर्ज किए गए। लेकिन एक सवाल उठता है कि पिछले दो सालों में 66 अस्पतालों में आग लगी है तो इसके पीछे की वजह क्या है। आइए जानते हैं...
Delhi hospital burning case | shreshth bharat |

राजधानी दिल्ली के एक शिशु देखभाल केंद्र में रविवार को आग लग गई। आग की वजह से सात नवजात बच्चों की मौत हो गई। पिछले दो सालों में दिल्ली के 66 अस्पतालों में आग लग चुकी है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में दिल्ली में 30 अस्पतालों में आग लगी। वहीं, पिछले साल 36 अस्पतालों में आग लगने के मामले दर्ज किए गए।

आखिर क्यों हो रहे हैं इतने हादसे

लेकिन एक सवाल उठता है कि पिछले दो सालों में 66 अस्पतालों में आग लगी है तो इसके पीछे की वजह क्या है। अस्पतालों में आग लगने का मुख्य कारण लापरवाही ही मानी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि कुछ अस्पतालों का निर्माण करते हुए आपातकालीन गेट तक नहीं बनाया जाता है। कुछ महीने पहले दिल्ली के विवेक विहार केयर न्यू बोर्न एंड चाइल्ड हॉस्पिटल में आग लगी थी, जहां पर एक भी आपातकालीन गेट नहीं था। साथ ही इनके पास एनओसी भी नहीं था। अग्निशमन सेवा द्वारा फायर एनओसी जारी किया जाता है। इसके तहत ये सत्यापित किया जाता है कि इमारत में आग से संबंधित किसी भी दुर्घटना की संभावना है कि नहीं। हादसा होने पर उसके पास प्राप्त उपकरण है कि नहीं।

इसके अलावा भी आग लगने के कई कारण हैं जैसे कि अस्पतालों में लगने वाली मशीनों में बिजली का इतना लोड हो जाता है। बिजली का ज्यादा लोड ना होने की वजह से शॉर्ट सर्किट हो जाता है। साथ ही कई अस्पतालों में बिजली के सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं किया जाता, जिससे बड़े हादसे हो जाते हैं।

क्या बोले दिल्ली फायर सर्विस ऑफिसर

अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं के बारे में दिल्ली फायर सर्विस के अधिकारी कहते हैं कि हर अस्पताल में आपातकालीन गेट होने चाहिए। ताकि आपातकालीन स्थिति में मरीजों को तुरंत बाहर निकाला जा सके। फायर सर्विस के कर्मचारियों के पास फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए पांच से छह मिनट का समय होता है। इसलिए, कंपार्टमेंटेशन की आवश्यकता है। कंपार्टमेंटेशन एक भवन डिजाइन और निर्माण तकनीक है, जिसकी मदद से इमारत को अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जाता है।

राजधानी दिल्ली के शाहदरा के विवेक विहार इलाके में एक बेबी केयर सेंटर में आग से 12 बच्चों का रेस्क्यू कराया गया। आग इतनी भीषण लगी थी कि अग्निकांड में बचाए गए 12 में 6 नवजात बच्चों ने दम तोड़ दिया, जबकि एक नवजात की पहले ही मौत हो चुकी थी। 7 नवजात बच्चों की मौत हुई है, 5 नवजात अस्पताल में भर्ती हैं, इनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। इस मामले पर दिल्ली फायर सर्विसेज के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया, “कल रात 11:32 बजे हमें कॉल मिली कि एक बेबी केयर सेंटर में आग लगी है। हमने शुरू में ही 7 फायर टेंडर भेजे थे। 12 बच्चों को हमने निकाला। बाद में पता लगा कि 6 बच्चों की मृत्यु हो गई है। बताया गया है कि वहां ऑक्सीजन के सिलेंडर में ब्लास्ट हो गया, जिस कारण आग बढ़ गई और बगल के घर में भी चली गई थी। वहां करीब 6 ब्लास्ट हुए हैं, जिससे हमारे फायर फाइटर को भी खतरा था। हमने 2 टीम बनाई, जिसमें से एक ने बच्चों को निकाला और दूसरी टीम ने फायर फाइटिंग की।”

6 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत

मिली जानकारी के अनुसार, 12 नवजात शिशुओं को इमारत से बचाया गया था, लेकिन 6 की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि एक बच्चे को मृत निकाला गया था। 5 नवजातों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनमें से एक की हालत भी गंभीर बनी हुई है। आग लगने का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है।

जानकारी के अनुसार, शनिवार रात करीब 11:32 बजे दिल्ली के शाहदरा इलाके में आईआईटी ब्लॉक बी, विवेक विहार स्थित बेबी केयर सेंटर में आग लगने की सूचना मिली थी। सूचना मिलते ही दमकल की 16 गाड़ियां मौके पर पहुंच गई। दमकल विभाग के मुताबिक, चाइल्ड केयर सेंटर में बच्चे और स्टाफ मौजूद था। मौके पर पहुंचे दमकल कर्मी इमारत में फंसे स्टाफ और नवजात को बचाने के लिए जुट गए। देर रात तक सभी का रेस्क्यू कर लिया गया। एक नवजात मृत मिला था। बचाए गए 12 नवजात बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान छह नवजात बच्चों की मौत हो गई।


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