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उत्तराखंड: UCC ड्राफ्ट में 2.9 प्रतिशत जनजातीय आबादी को क्यों मिली विशेष छूट ?

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उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने UCC के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। इस ड्राफ्ट में कई विशेष बातें हैं, इनमें से खास बात है 2.9 जनजातीय आबादी को विशेष छूट देना। उत्तराखंड में पांच जनजातियां अधिसूचित हैं। जिनकी जनसंख्या 2,91,903 है। UCC ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने अपनी बैठकों की पहल उत्तराखंड की सीमा पर स्थित देश के पहले गांव माणा से की। समिति के सदस्यों ने आदिवासी समाज की स्थिति समस्याएं जानने के साथ ही समान नागरिक संहिता के दृष्टिगत सुझाव भी लिए थे।

आपको जानकारी के लिए बता दें, उत्तराखंड विधानसभा की शुरुआत आज यानि सोमवार को अपने निर्धारित समयानुसार 11 बजे हुई। विधानसभा के इस विशेष सत्र में सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार कल 6 फरवरी को समान नागरिक संहिता विधेयक पेश करेगी। इससे पहले उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने UCC के ड्राफ्ट को मंजूरी दी। लेकिन इस UCC ड्राफ्ट में जनताजीय समुदाय को समान नागरिक संहिता से अलग रखने की बात कही जा रही है।

यूसीसी राज्य में सभी समुदायों के लिए समान नागरिक कानून का प्रस्ताव करता है। लेकिन UCC द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट में जनताजीय समुदाय को समान नागरिक संहिता से अलग रखने की चर्चा की गई है। आपको बता दें उत्तराखंड में पांच जनजातियां अधिसूचित हैं। जिनकी जनसंख्या 2,91,903 है। UCC ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने अपनी बैठकों की पहल उत्तराखंड की सीमा पर स्थित देश के पहले गांव माणा से की। समिति के सदस्यों ने आदिवासी समाज की स्थिति समस्याएं जानने के साथ ही समान नागरिक संहिता के दृष्टिगत सुझाव भी लिए थे।

UCC ड्राफ्ट कमिटी ने पहचान, पिछड़ेपन और विभिन्न कारणों से उनकी घटती जनसंख्या को देखते हुए राज्य की जनजातियों को समान नागरिक संहिता से बाहर रखने की सिफारिश की है। 1967 में प्रदेश में कई जातियों बोक्सा, राजी, थारू, भोटिया और जौनसारी को जनजाति घोषित किया गया था। उत्तराखंड राज्य में बोक्सा और राजी जनजाति बाकि जनजातियों के मुकाबले ज्यादा पिछड़ी हैं। देश में खासतौर पर कमजोर जनजातीय समूहों की दशा सुधारने के लिए केंद्र की ओर से शुरू किए गए प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम- जनमन) में उत्तराखंड की बोक्सा और राजी जनजातियों को भी शामिल किया गया है।

उत्तराखंड में 211 गांव हैं, जिनकी आवश्यक सुविधाओं को पूरा करने के लिए 9 विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। UCC ड्राफ्ट तैयार करने वाली विशेषज्ञ समिति ने भी राज्य की जनजातियों को विशेष रूप से महत्व दिया है।

इससे पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने UCC का एक मसौदा मुख्यमंत्री को सौंपा था। UCC मसौदा पैनल में सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल थीं। ड्राफ्टिंग पैनल को कुल चार एक्सटेंशन दिए गए थे। UCC सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, समान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि मसौदा रिपोर्ट 740 पृष्ठों की है और इसमें चार खंड हैं, जिसमें राज्य के 2,33,000 लोगों के सुझाव शामिल हैं। मार्च 2022 में अपने दूसरे कार्यकाल की पहली बैठक में धामी सरकार ने यूसीसी के लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया। 


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