Rishikesh Triveni Ghat: हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों से घिरा और मां गंगा के तट पर बसी योग नगरी ऋषिकेश विश्व विख्यात पावन तीर्थ स्थल है। यहां हर साल हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। यहां कई सारे प्राचीन व मान्यता प्राप्त मंदिर व घाट स्थापित हैं। उन्हीं में से एक है ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट। ये त्रिवेणी घाट तीन पवित्र नदियों का संगम हैं। यहां गंगा, यमुना, और सरस्वती का मिलन होता है। मान्यता है कि प्राचीन समय में यहां केवल गंगा और सरस्वती का संगम था। जिसके बाद कुब्जा मृग ऋषि से प्रसन्न होकर यमुना का ऋषिकेश में प्रवेश हुआ।
क्या है मान्यता
बता दें कि इस घाट की एक कथा काफी मशहूर है। मान्यता है की ऋषि कुब्जा मृग ने यहां तपस्या किया करते थे, वे प्रतिदिन प्रातः काल यमुना स्नान के लिए जाया करते थे। एक दिन भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश से अपने पुत्र स्वामी कार्तिकय से मिलने जा रहे थे, उसी समय माता पार्वती की नजर ऋषि कुब्जा मृग पर पड़ी, उन्होंने भगवान शिव से उनके बारे में पूछा तो उन्हें पता चला की यह प्रत्येक दिन यमुना स्नान के लिए जाते हैं। यह सब सुनने के बाद माता पार्वती ने ऋषि पर अपनी कृपा बरसाई, और यमुना मां को आदेश दिया कि वे ऋषि के निवास स्थान पर ही चली जाएं।
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ऋषि के पहुंचते ही यमुना मां उनके कमंडल में समा कर उनके साथ ऋषि कुण्ड आ गई, जिसके बाद यमुना नदी खाली हो गई। यह देख माता पार्वती ऋषि के पास उनकी कुटिया में गई और ऋषि के ध्यान से उठने का इंतजार करने लगी। ऋषि के ध्यान से उठते ही माता ने यमुना को उसके स्थान में विराजमान किया और तभी से ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट और ऋषिकुण्ड में भी यमुना आ गई।