Bhupendra Chaudhary: लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर लखनऊ तक नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है। 2024 के चुनाव में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब इस पर यूपी में पार्टी की इंटरनल रिपोर्ट पर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने चर्चा की है।
40 हजार कार्यकर्ताओं से की बातचीत
सूत्रों के अनुसार, 2024 के आम चुनाव में यूपी में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा। अब यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chaudhary) ने चुनाव के नतीजों पर यूपी की सभी 80 सीटों पर पार्टी के करीब 40 हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत की और फीडबैक लिया, जिसके आधार पर उन्होंने 15 पेज की रिपोर्ट तैयार की है। वहीं, पिछले दो दिनों में Bhupendra Chaudhary ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर यह रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से से विस्तृत चर्चा भी की गई है।
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पश्चिमी यूपी और काशी में रहा सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी यूपी, ब्रज, अवध, कानपुर-बुंदेलखंड, गोरखपुर और काशी में पार्टी के वोट शेयर में कम से कम 8% की कमी आई है। पार्टी के अपने आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिमी यूपी और काशी में पार्टी का सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन रहा। यहां पार्टी को 28 में से केवल 8 ही सीटें मिली हैं। ब्रज में पार्टी को 13 में से 8 सीटें मिली, जबकि गोरखपुर में 13 में से केवल 6 ही सीटें जीत पाई। इसी तरह अवध में पार्टी को 16 में से 7 सीटें मिली हैं। कानपुर-बुंदेलखंड में भाजपा को 10 में से 4 सीटें मिली हैं।
ये हैं यूपी में भाजपा की हार के मुख्य कारण?
भूपेंद्र चौधरी द्वारा शीर्ष नेतृत्व को सौंपी गई इंटरनल रिपोर्ट में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए गए हैं, जिसमें संविधान बदलने पर पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए बयान, अग्निवीर योजना और पिछले 6 साल में सरकारी नौकरियों के लीक हुए पेपर मुख्य कारण हैं।
- राजपूत समाज की पार्टी से नाराजगी।
- संविधान बदलने पर पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए बयान।
- जल्दी टिकट वितरण भी एक कारण है।
- 6 और 7वें चरण के मतदान तक कार्यकर्ताओं के जुनून में कमी आना।
- सरकारी अधिकारियों में ओल्ड पेंशन मुद्दा हावी रहा।
- अग्निवीर भी चुनाव का बड़ा मुद्दा बन गया।
- प्रदेश में अधिकारियों और प्रशासन की मनमानी।
- सरकार के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष।
- पिछले 6 साल में लगातार सरकारी नौकरियों के पेपर लीक होना।
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