Urban Heat Island: देश की राजधानी में साल दर साल गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के बहुत से इलाकों में तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की रिपोर्ट के अनुसार, आबादी एवं निम्न आय वर्ग के लोगों की बहुतायात के कारण दिल्ली में गर्मी बढ़ रही है। यहां गर्मी मार्च से शुरू हो जाती है, लेकिन अप्रैल से जून के बीच यह अपने चरम पर रहती है। यही कारण है कि दिल्ली अर्बन हीट आइलैंड बन रही है।
क्या होता है अर्बन हीट आइलैंड?
कोई शहर अर्बन हीट आइलैंड तब बनता है जब उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहर में तापमान अधिक हो जाता है। शहर में इंसानी गतिविधियां बढ़ने से अर्बन हीट आइलैंड की समस्या पैदा होती है। अर्बन हीट आइलैंड में शहर की इमारतों और उसकी डिजाइन का अहम रोल होता है। दिल्ली के अर्बन हीट आइलैंड बनने में ये सभी फैक्टर्स जिम्मेदार हैं। ऊंची बिल्डिंगों में ईंट की जगह शीशे और स्टील का बढ़ता इस्तेमाल भी गर्मी को बढ़ाता है। इनमें लगा एयरकंडीशनर और शहरों में बढ़ता ट्रैफिक भी इसका मुख्य कारण है।
शीत लहर से ज्यादा हानिकारक है गर्म हवाएं
दिल्ली में बढ़ती गर्मी से लोग बहुत परेशान हैं। मई और जून के बीच कुछ हिस्सों में तो तापमान 48 और 49 डिग्री तक पहुंच जाता है। राजधानी में प्री-मानसून में लू और मानसून में हीट इंडेक्स लोगों के लिए समस्या बनती जा रहा है। ऐसे में लोग हीट स्ट्रोक का शिकार होते जा रहे हैं। हीट स्ट्रोक मरीजों की संख्या भी साल- दर- साल बढ़ती जा रही है।
क्या है इस समस्या का हल?
किसी शहर को अर्बन हीट आइलैंड बनने से बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए। पेड़-पौधों की संख्या बढ़ने पर तापमान में कमी आएगी। जिनके पास पेड़ लगाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है वह टेरेस गार्डन और किचन गार्डन बना सकते हैं। घर की छत पर सफेद रंग की पुताई करने से भी गर्मी के असर को कम किया जा सकता है। हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जो एनर्जी की कम खपत करते हों। इन छोटी-छोटी टिप्स को अपनाकर अर्बन हीट आइलैंड की समस्या को रोका जा सकता है।