राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। ये विरोध प्रदर्शन केंद्र द्वारा टैक्स के ट्रांसफर और फंड रिलीज से जुड़े मुद्दों पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ विरोध प्रदर्शन किया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके सांसदों ने भी इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया। बताया जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस धरने में शामिल होंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक के सीएम भी एक दिन बाद इसमें शामिल होंगे।
विरोध प्रदर्शन से पहले क्या बोले विजयन
केरल के सीएम ने विरोध प्रदर्शन से एक शाम पहले मीडिया से बात करते हुए कहा था कि भाजपा द्वारा टैक्स ट्रांसफर और फंड रिलीज से संबंधित वित्तीय बाधाओं के कारण केरल में सामाजिक कल्याण और विकास व्यय में समस्याएँ पैदा हो रही हैं। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य न सिर्फ केरल बल्कि सभी राज्यों के संवैधानिक अधिकारों को बचाना है।
केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस धरने को उत्तर-दक्षिण विभाजन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह सिर्फ राज्यों का नहीं बल्कि पूरे देश का मुद्दा है।
ये कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा हो, इससे पहले भी दक्षिण के राज्य केंन्द्र सरकार पर अनदेखी का आरोप लगा चुके हैं। हाल में मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले भी कई दक्षिणी राज्यों ने टैक्स ट्रांसफर नीतियों और टैक्स राजस्व को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की है। केंद्र द्वारा ट्रांसफर किए गये टेक्सो में अपना “सही हिस्सा” मांगने और केंद्रीय धन के आवंटन में असमानताओं के विरोध में जारी इस प्रदर्शन में दक्षिण के राज्यों के बीच गठबंधन बनने की भी चर्चा हैं।
कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु पहले ही साथ आ चुके है। अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी राज्य विधानसभा में बुधवार को टैक्स ट्रांसफर नीतियों में कमी की बात की थी।
वित्त मंत्री ने कही थी ये बात
संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने सोमवार को कहा था कि टैक्स ट्रांसफर नीतियों और टैक्स राजस्व वित्त आयोग की के द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित था। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य जीएसटी का 100% स्वचालित रूप से राज्यों को ट्रांसफर कर दिया गया था और जीएसटी का लगभग 50% राज्यों के साथ साझा किया गया था। कर्नाटक 15वें वित्त आयोग के तहत राज्य को हुए कथित घाटे के लिए केंद्र से 1.87 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रहा है, तो वहीं केरल ने यह दावा किया हैं कि केरल को 2016 से 2023 के बीच 1.08 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।