आज के दौर में हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग काफी हद तक देखने को मिल रहा है। अब दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल ने भी निश्चित किया है कि वह मरीजों के इलॉज के लिए AI की मदद ले सकता है। आपको बता दें दिल्ली एम्स में अब AI की मदद से मरीज के कैंसर का पता लगाया जाएगा। इसके लिए एम्स में एआई प्लेटफॉर्म, iOncology.ai लॉन्च किया है।
आज के दौर में AI का यूज काफी बढ़ गया है। शिक्षा, टेक्नोलॉजी से लेकर हर क्षेत्र में AI के बढ़ते प्रभाव को देखा जा सकता है। इसी बीच दिल्ली के एम्स ने स्वास्थ्य देखभाल में AI की शक्ति का लाभ उठाने का निश्चय किया है। एम्स ने कैंसर के मरीजों की शीघ्र पता लगाने के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (Centre for Development of Advanced Computing) की सहायता से हाल ही में एक एआई प्लेटफॉर्म, आईऑन्कोलॉजी (iOncology) लॉन्च किया है। इसके माध्यम से कैंसर से पीड़ित मरीजों का जल्द ही पता लगाया जा सकेगा।
लैसेंट के अनुसार हद्य रोग की तुलना में कैंसर को सबसे घातक बीमारी के रूप में माना गया है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (ग्लोबोकैन) के अनुसार वर्ष 2020 में दुनिया भर में कैंसर के 19.3 मिलियन मामले सामने आए थे। आंकड़ो की माने तो भारत चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है।
लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि भारत में कैंसर के मामले बढ़कर 2.08 मिलियन हो जाएंगे, जो कि 2020 की तुलना में 2040 में 57.5 प्रतिशत की वृद्धि है। भारत में, वर्ष 2022 में कैंसर के कारण 8 लाख से अधिक मौतें हुईं। देर से कैंसर का पता चलना मृत्यु का मुख्य कारण बना हुआ है। विश्व स्तर पर यह अनुमान लगाया गया है कि देर से रिपोर्ट किए गए 80% मामलों में से केवल 20% ही बच पाते हैं। हालाँकि शुरुआती स्टेज में पाए गए 20% मामलों में जीवित रहने की दर 80% या उससे अधिक होती है। कैंसर के मैन्युअल निदान में प्रमुख मुद्दों में से एक गलत नकारात्मक रिपोर्ट करना है, जिसका अर्थ है कैंसर रोगी को गलत तरीके से स्वस्थ घोषित करना।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसरों सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के लिए किया जा रहा है। जल्द ही इस तकनीक का इस्तेमाल अन्य कैंसरों की जांच के लिए किया जाएगा। एम्स के कैंसर डिपार्टमेंट में गायनेकॉलॉजी विभाग में एआई की मदद से कैंसर मरीजो का डायग्नोज किया या है। जिसमें काफी अच्छे परिणाम मिले हैं। इस एआई तकनीक को पांच जिला अस्पतालों में लागू किया गया है।