संगीत जगत की जानी-मानी हस्ती स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज से लाखों करोड़ो लोगों के दिलों में आज भी राज करती हैं। लता मंगेशकर भले ही आज हमारे बीच नही हैं लेकिन उनकी आवाज हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी। स्वरो की साम्राज्ञी ने अपनी गायिका से न केवल भारत को दिवाना बनाया बल्कि विदेशों में भी उनकी गायिकी के दिवाने आज भी मौजूद हैं।
28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को संगीत क्षेत्र में योगदान देने के लिए भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
लता मंगेशकर ने 20 से अधिक भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी। सुरों की नायिका लता जी का जीवन संघर्षों से भरा रहा था। पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधो पर आ गई थी। लता जी अपने पांच भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं, वह सभी से प्यार करती थीं। उनके प्यार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने भाई-बहनों को पढ़ाने के लिए खुद पढ़ाई नहीं की। लता जी ने अपने पिता के साथ मराठी संगीत नाटक में काम किया। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने बड़े कार्यक्रमों और नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था। लता जी की आवाज का हर कोई दीवाना हो जाता था। आज भी उनकी आवाज का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता है।
लता जी के ये सदाबहार गाने आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं।
-अजीब दास्तां है ये- (दिल अपना प्रीत पराई)
-लगा जा गले- (वो कौन थी )
-तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं- (मासूम)
-ऐ मेरे वतन के लोगों-(देश भक्ति गीत )
-प्यार किया तो डरना क्या-(मुगल ए आजम)
-आजा पिया तोहे प्यार दूं- (बहारो के सपने)
-लुका छिपी बहुत हुई- (रंग दे बसंती)
-सलामे इश्क- (मुकद्दर का सिकंदर)
-दिल तो पागल है दिल दीवाना है-(दिल तो पागल है)
-मेरे ख्बावो में जो आए- (दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे)
-मेरी आवाज ही पहचान है-(फिल्म किनारा)