पॉक्सो एक्ट लगने के बाद भी अभी तक बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तारी नहीं हुई है. भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बाद पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज हुई थी लेकिन FIR दर्ज होने के 10 दिन बाद भी गिरफ्तारी नहीं होने से हर तरफ सवाल उठ रहे है. क्या किसी आम आदमी के खिलाफ अगर पॉक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज होती तो क्या उसकी भी गिरफ्तारी नहीं होती ? इस तरह के कई सवाल इस मामले में उठ रहे हैं. इनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवान अभी भी धरने पर बैठे हुए है तो आईए जानते है कि आखिर पॉक्सो एक्ट क्या है और आखिर क्यों गिरफ्तारी के नियम होने के बाद भी बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी इस मामले में नहीं हो पा रही है.
पॉक्सो एक्ट यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012 में बनाया गया. इस महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. इसे बच्चों के विरूद्ध यौन अपराधों के लिए बनाया गया था. इस एक्ट में CrPC की धारा 41 और 42 के तहत पुलिस आरोपी को गिरफ्तार भी कर सकती है. ये कानून बेहद सख्त है, अमूमन इस केस में पुलिस पहले आरोपी को गिरफ्तार करती है उसके बाद इस मामले में जांच आग बढ़ती है. किसी भी FIR के बाद आरोपी की गिरफ्तारी करना ना करना केस के जांच अधिकारी पर निर्भर है.
अगर केस के जांच अधिकारी को लगता है कि आरोपी खुला रहकर केस को प्रभावित कर सकता है या वादी को डरा धमका सकता है, सबूतो, गवाह को प्रभावित कर सकता है तो जांच अधिकारी आरोपी को गिरफ्तार कर सकता है. वहीं बृजभूषण शरण सिंह के मामले में इस केस के जांच अधिकारी को लगता होगा कि बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी जरूरी नहीं है इसलिए बृजभूषण सिंह को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है.
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जो मामले दर्ज है उसमें उन्हें अधिकतम 3 साल की सजा हो सकती है वहीं बात के इन पर दर्ज पॉक्सो एक्ट की तो पॉक्सो एक्ट में कम से कम 7 साल की जेल हो सकती है और अधिकतम सजा इसमें उम्रकैद तक हो सकती है. इस तरह के अपराधों में अगर पुलिस अधिकारी उचित कार्रवाई ना करे तो पुलिस अधिकारी को भी 6 महीने की सजा हो सकती है, वहीं ऐसे केसों में जांच भी 90 दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए.
मोटे तौर पर कहा जाए कि पॉक्सो जैसे संगीन केसों में गिरफ्तारी होनी चाहिए लेकिन कहीं ना कहीं लग रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह को अपने रसूख का, अपने सत्ता पक्ष का होने का फायदा मिल रहा है. वैसे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जो यौन उत्पीड़न के आरोप लगे है उसमें घटना देश में नहीं बल्कि विदेशों की बताई गई है जिससे पुलिस के लिए चुनौती और भी बढ़ गई है और मामला काफी पुराना भी है जिससे पुलिस के लिए जांच करना और सबूतों को जुटाना बड़ा मुश्किल होगा. बृजभूषण शरण सिंह ने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया है और हरियाणा कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को इसके लिए जिम्मेदार माना है. दीपेंद्र हुड्डा को हराकर ही 2011 में बृजभूषण शरण सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बने थे जिसके बाद कुश्ती संघ में दबदबे को लेकर दीपेंद्र हुड्डा और बृजभूषण सिंह के बीच अदावत जारी है.