नोएडा में सेक्टर-62 पर स्थित कफ सिरप बनाने वाली कंपनी मैरियन बॅायोटेक लिमिटेड पर खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन ने शिकंजा कसते हुए उसका लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि जांच में 36 में से 22 सैंपल के फेल होने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर आशीष कोन्डल ने कोतवाली फेज थ्री में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। कंपनी में 9 जनवरी को दवाओं का उत्पादन बंद करा दिया गया था, जबकि 12 जनवरी को लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। आपको बता दें कि दिसंबर के महिने में उज्बेकिस्तान सरकार ने आरोप लगाया था कि नोएडा की कंपनी के कफ सिरप डॉक-1 मैक्स और एंबरोनाल पीने से वहां 18 बच्चों की मौत हो गई थी। उज्बेकिस्तान सरकार की सूचना के आधार पर WHO ने भारत सरकार को इस मामले में सचेत किया था। जिसके बाद केंद्र और राज्य की टीमों ने कंपनी पहुंचकर दवाओं के नमूने एकत्र किए थे। आपको बता दें कि कुल 36 नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें से 22 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे थे।
मई 2021 में निर्यात हुआ था सिरप
अधिकारियों का कहना है कि कंपनी मैरियन बायोटेक लिमिटेड साल 2012 से उज्बेकिस्तान में रजिस्टर्ड थी। आपको बता दें कि यह कंपनी भारत में अपनी दवाएं नहीं बेचती। जिन दवाओं के सेवन से बच्चों की मौत की शिकायत मिली उनकी खेप मई 2021 में उज्बेकिस्तान भेजी गई थी।
दो माह में 35 लाइसेंस रद्द
उज्बेकिस्तान मामले के बाद अलर्ट, औषधि विभाग ने विशेष जांच अभियान चलाया है क्योंकि जिले में दवाओं के कारोबार में मिलावट की लगातार खबरें आ रहीं है। करीब दो महिने में 20 दवा कंपनियों और फार्मेसी के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। जबकि 35 कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं।
कंपनी मालिक और मालकिन फरार
उजबेकिस्तान में कफ सिरप पीने से हुई 18 बच्चों की मौत के मामले में दवा कंपनी के ऑपरेशन हेड के साथ तीन कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद कंपनी के मालिक और मालकिन (डायरेक्टर) सचिन जैन और जया जैन फरार हैं। नोएडा सेंट्रल के डीसीपी रामबदन सिंह के कहना है कि इस मामले में ऑपरेशन हेड तुहिन भट्टाचार्य, केमिस्ट अतुल रावत और मूल सिंह को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।