बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर बीजेपी और जेडीयू के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है। मांझी ने कहा है कि एक रोटी से पेट नहीं भरता, कम से कम दो रोटी तो दीजिए।
9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नीतीश कुमार ने राज्य के मंत्रियों में विभागों का बंटवारा कर दिया है। नीतीश सरकार ने जीतन राम मांझी के बेटे और HAM के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग दिया है। जिसको लेकर मांझी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने बीजेपी-जेडीयू पर दबाव बनाते हुए कहा एक ‘’रोटी से पेट नहीं भरता, दो रोटी तो दीजिए’’।
बिहार में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। मांझी ने ‘’रोटी से पेट नहीं भरता, दो रोटी तो दीजिए’’ यह बोलकर साफ शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश सरकार द्वारा दिये गये विभाग से वह नाखुश है। उन्होंने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘’गरीबों के लिए काम करना है तो हमको अच्छा विभाग भी चाहिए’’। मांझी के बेटे संतोष कुमार को नीतीश कुमार ने सूचना प्रविधिकी और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग दिया है। इससे पहले जब संतोष महागठबंधन की सरकार में मंत्री थे, तब भी उन्हें एससी-एसटी कल्याण दिया गया था। जब जीतनराम मांझी बिहार सरकार में मंत्री थे, तब भी उनके पास इसी विभाग की जिम्मेदारी थी।
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इसे मुद्दे पर सवाल उठाकर असंतोष जाहिर कर दिया है। मांझी ने HAM कोटे से मंत्री संतोष सुमन को एससी-एसटी कल्याण विभाग मिलने पर कहा “मैं मंत्री था तब भी यही विभाग मिला और मेरे बेटे संतोष को भी एससी-एसटी कल्याण विभाग ही मिलता है। उन्होंने सवाल किया- क्या पथ निर्माण और भवन निर्माण विभाग का काम हम लोग नहीं कर सकते हैं? मुझे इस बात का दुख है।‘’
बता दें कि बिहार की बदली राजनीति में जीतन राम मांझी बेहद अहम किरदार हैं। उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार विधायकों पर महागठबंधन और एनडीए, दोनों की निगाह है। घोषित तौर पर मांझी तो एनडीए में हैं, लेकिन तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद कि खेल अभी बाकी है… को लेकर सबसे अधिक मांझी के रुख को टटोला जा रहा है। इसी बीच मांझी की नाराजगी भी सामने आ चुकी है।