Sunil Chhetri: Sunil Chhetri Retires: भारतीय स्टार फुटबॉलर सुनील छेत्री ने 16 मई को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल करियर से संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सन्यास की घोषणा अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट के जरिए किया। इस वीडियो में छेत्री ने कहा कि 6 जून को कुवैत के खिलाफ होने वाले फीफा वर्ल्ड कप क्वालिफिकेशन मैच के बाद फुटबॉल को अलविदा कह देंगे।
I'd like to say something… pic.twitter.com/xwXbDi95WV
— Sunil Chhetri (@chetrisunil11) May 16, 2024
सुनील छेत्री ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ खेला और अपने सीनियर डेब्यू पर उन्होंने अपना पहला इंटरनेशन गोल किया। छेत्री ने मार्च में भारत के लिए अपना 150वां मैच गुवाहाटी में अफगानिस्तान के खिलाफ खेला था। उस मैच में उन्होंने गोल भी दागा था, हालांकि भारत वह मैच 1-2 से हार गया था।
ऐसा कहा जा सकता है कि सुनील छेत्री के संन्यास लेने से भारत में फुटबॉल के एक युग का अंत हो गया है। सुनील छेत्री भारतीय फुटबॉल टीम के लिए सबसे ज्यादा गोल दागने वाले खिलाड़ी भी है। सुनील छेत्री अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में चौथे नंबर पर हैं। पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो सबसे ज्यादा इंटरनेशनल गोल करने के मामले में पहले स्थान पर हैं। इसके बाद ईरान के पूर्व खिलाड़ी अली दई का नंबर आता है। अर्जेंटीना के कप्तान लियोनेल मेसी तीसरे स्थान पर हैं। सक्रिय फुटबॉलरों में छेत्री से आगे सिर्फ क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेसी हैं। साथ ही सुनील छेत्री इंटरनेशनल फुटबॉल में सर्वाधिक गोल करने वाले दूसरे एशियाई खिलाड़ी हैं। इस मामले में ईरान के अली दई पहले नंबर पर हैं।
अपने संन्यास की घोषणा करने वाले वीडियो में वह काफी भावुक नजर आ रहे हैं। उन्होंने 9 मिनट का यह वीडियो एक्स पर पोस्ट किया और कैप्शन में लिखा कि- “मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं।”
आपको बता दें कि सुनील छेत्री ने अपने करियर में 6 बार प्लेयर ऑफ द ईयर के साथ 2011 में अर्जुन पुरस्कार भी प्राप्त किया। 2010 में उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है। इस खिलाड़ी ने कई बार भारत को गर्व की अनुभूति करवाई। भारत को नेहरू कप (2007, 2009, 2012) के साथ-साथ SAFF चैंपियनशिप (2011, 2015, 2021) जीतने में भी मदद की।
इस दिग्गज फॉरवर्ड खिलाड़ी ने भारत की 2008 एएफसी चैलेंज कप जीत में भी अहम भूमिका निभाई, जिससे टीम को 27 वर्षों के बाद पहले एएफसी एशियाई कप (2011) के लिए क्वालीफाई करने में मदद मिली। वह 2012 से भारतीय पुरुष टीम के कप्तान हैं।