Chaitra Navratri Day 4: आज नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। कुछ विद्वान कहते हैं कि मां कुष्मांडा ने अपनी मुस्कान और अपने उदार रूप से इस संसार का निर्माण किया था। कुछ लोगों का कहना है कि मां कुष्मांडा शांत विचार वाली थीं। जिसकी वजह से इनका नाम कुष्मांडा पड़ा था। हमें मां कुष्मांडा की पूजा बड़े शांत मन से करनी चाहिए। बताया जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से विजय रहने का वरदान मिलता है।
#WATCH | Delhi: Morning Aarti being performed on the fourth day of Navratri at Jhandewalan Temple. pic.twitter.com/9TYambxW3v
— ANI (@ANI) April 11, 2024
मां कुष्मांडा ने ऐसे की थी इस संसार की रचना
कुछ जानकारों के मुताबिक, जब संसार में चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। तब ही मां कुष्मांडा ने अपनी मधुरता से इस संसार की रचना की थी। बता दें कि मां कुष्मांडा को इस सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति माना गया है। मां कुष्मांडा को खुश रखने के लिए हरे रंग को बहुत शुभ माना जाता है। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं थी। जिसमें से सात में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, और गदा होता है। तो वहीं माता के आठवें हाथ में जप माला होती है। मां कुष्मांडा की सवारी सिंह हैं।
पूजा के लिए शुद्ध स्थान का करें चयन
कुष्मांडा माता की पूजा को अच्छी तरह से किसी शुद्ध स्थान करनी चाहिए। पूजा का समय सूर्योदय के समय से पहले का होना चाहिए। पूजा के लिए बेल पत्र, फल, सुपारी, नारियल, हल्दी, कुमकुम, रोली, चावल, मिठाई, नया कपड़ा, धूप, दीप, पुष्प, नौका, शंख आदि की आवश्यकता होती है।
ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना
पूजा के लिए अपने शुद्ध और पवित्र मन से बैठना चाहिए। पूजा स्थल को सजाएं और उस पर रंगों से रंगोली बनाएं। मां कूष्मांडा की मूर्ति या चित्र को मंदिर में स्थापित करें। सबसे पहले देवी को नमस्कार करें। फिर उपासना के लिए मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ ह्रीं क्लीं ऐं कूष्मांडायै नमः”। पूजा के बाद मां कुष्मांडा के ध्यान में रहें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
पूजा समाप्त होने के बाद मां कुष्मांडा को भोग लगाएं। उसके बाद दूसरों को भी प्रसाद बाँटें। व्रत: कुछ लोग मां कुष्मांडा के नाम का व्रत भी करते हैं। व्रत के दौरान कुछ विशेष भोजन और विधियां अनुसरण किया जाता है।