UPSC की परीक्षा को देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षा माना जाता है. जिसमें बैठना और इसको पास करना हर किसी भारतीय का सबसे बड़ा सपना होता है. IAS, IPS, IFS, IRS, IIS जैसे बड़े प्रतिष्ठित अधिकारी बनने के लिए UPSC की परीक्षा को पास करना होता है. यूं तो UPSC के माध्यम से बनने वाले अधिकारियों का अलग ही रसूख रहता है लेकिन IAS और IPS बनने का क्रेज अलग ही लेवल का रहता है. आपने अगर ग्रेजुऐशन कर ली है या आप ग्रेजुऐशन के फाइनल ईयर में है और आपकी ऐज 21 साल से ज्यादा है तो आप भी UPSC की परीक्षा में शामिल होकर अपने सपने को पंख लगा सकते है.
UPSC यानी संघ लोक सेवा आयोग की भारत में स्थापना अक्टूबर 1926 में हुई थी. इसकी स्थापना भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1924 में ली आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के तहत की गई थी.
लार्ड ली की अध्यक्षता में साल 1924 में रॉयल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में लोकसेवा आयोग के गठन की सिफारिश की थी जिसके बाद एक अक्टूबर 1926 को सर बार्कर की अध्यक्षता में पहले लोक सेवा आयोग का गठन किया गया. इसके बाद 1 अप्रैल 1937 को फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन की स्थापना हुई. आजादी के बाद ये फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन, संघ लोकसेवा आयोग बन गया. 1950 में भारत के गणतंत्र होने के बाद इसे संवैधानिक संस्था का दर्जा मिल गया. यूपीएससी एक संवैधानिक संस्था है इसका गठन संविधान के अनुच्छेद के आधार पर किया गया है जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 से लेकर 323 तक मेंशन किया गया है. UPSC का हेड ऑफिस धौलपुर हाउस, शाहजहाँ रोड, नई दिल्ली में स्थित है.
बात करें अगर सिविल सेवा की तो सिविल सेवा का पहली बार आयोजन 1855 में लंदन में किया गया था. सिविल सेवा पास करने वाले पहले भारतीय सत्येन्द्रनाथ टैगोर थे.. सत्येन्द्रनाथ टैगोर रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे. इन्होंने ये परीक्षा 1864 में पास की थी इसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने 1920 में ये परीक्षा पास की. उस समय इस परीक्षा का डिजाइन ऐसा था कि इसमें ज्यादातर यूरोपीय लोग ही सफल हो पाते थे भारत में ये परीक्षा पहली बार 1922 मे आयोजित हुई तब इसका नाम सिविल सर्विस परीक्षा होता था यानी CSE, बाद में इसे UPSC कहा जाने लगा. भारत की पहली महिला आईएएस अन्ना राजम मल्होत्रा थी वो 1951 में आईएएस अधिकारी बनी. 27 साल की उम्र में पहले ही अटेंप्ट में ही अन्ना राजम आईएस बनी थी. इनका काडर मद्रास था. राजम मल्होत्रा केंद्र सरकार में सचिव के पद को संभालने वाली पहली महिला भी थी.
इस परीक्षा में एक बड़ा परिवर्तन हुआ 2011 में. जब यूपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा में सी सैट को शामिल किया. सी सैट यानी कॉमन सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूड टेस्ट को शामिल करने से 400 अंको का जनरल स्टडीज और 200 अंकों का सी सैट. इसको लेकर विवाद भी हुआ इसको शामिल करने का हिंदी माध्यम के छात्रों ने काफी विरोध भी किया था. हिंदी मीडियम के छात्रों को इससे बहुत नुकसान हो रहा था. इन छात्रों का कहना था कि इससे मैनेजमेंट और टेक्निकल स्टूडेंट्स को बहुत फायदा होगा. वैसे भी यूपीएससी में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के परीक्षार्थी ज्यादा सफल होते है. 2019 में सिविल सेवा में कुल 922 अभ्यर्थी सफल हुए थे जिनमें से 63.12 फीसदी छात्र इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से थे वहीं 24.18 फीसदी हयूमैनिटिज बैकग्राउंड से थे.
वैसे 1989 तक यूपीएससी का माध्यम अंग्रजी ही था लेकिन आंदोलन के बाद अन्य भाषाओं को भी जगह मिल गई. 2008 से मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी और हिंदी दोनों के प्रश्नपत्रों को अनिवार्य कर दिया.
आयु सीमा की बात करें तो सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह 21 से 32 साल है. ओबीसी के लिए 21 से 35 साल और PWD के लिए 21 से 42 साल है. वहीं, एससी और एसटी के लिए उम्र सीमा 21 से 37 साल है. बता दें. वहीं बात करे एटेम्ट की तो सामान्य श्रेणी के परीक्षार्थियों को कुल 6 एटेम्ट मिलते हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग के परीक्षार्थियों को 9 एटेम्ट मिलते हैं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए एटेम्ट की कोई लीमिट नहीं है.
भूतपूर्व सैनिक/बेंचमार्क विकलांगता- ईडब्ल्यूएस/विकलांग रक्षा सेवा कर्मियों को 42 साल की आयु तक 9 एटेम्ट मिलेंगे.