यूपी विधानसभा में शुक्रवार को सदन के अंदर ही अदालत लगी, जिसमें भाजपा विधायक सलिल विश्नोई की पिटाई करने वाले तत्कालीन सीओ जो कि अब सेवानिवृत्त आईएएस हैं, के साथ पाँच पुलिसकर्मियों को एक दिन की कारावास की सजा सुनाई गई. सभी आरोपियों को विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया गया. यूपी के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सजा सुनाते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ये फैसला एक उदाहारण बनेगा, इससे पहले 1990 में विधानसभा में अदालत लगी थी यानि विधानसभा के अंदर ये अदालत करीब 33 साल के बाद लगी. जिस मामले में इन पुलिसकर्मियों और सेवानिवृत्त आईएएस को एक दिन कारावास की सजा हुई है, ये मामला 15 सितंबर, 2004 का है तब कानपुर की जनरलगंज सीट के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ने बिजली आपूर्ति को लेकर धरना दिया था और डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे, रास्ते में तत्कालीन स्थानीय सीओ अब्दुल समद व अन्य पुलिसकर्मियों ने घेरकर विधायक सलिल विश्नोई के साथ मार पीट कर दी थी, जनरलगंज विधायक के साथ अभद्ता की गई थी और उन्हें अपमानित भी किया गया था, जिसमें सलिल विश्नोई के पैर की हड्डी भी टूट गई थी बाद में ये मामला विशेषाधिकार समिति में पहुंचा था.
इस दौरान कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने एक दिन की कारावास की सजा की जगह कुछ घंटों के कारावास की अपील की जिस पर सदन के विधायकों ने असहमति जताई और सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष के कहने के बाद बदलाव नहीं हो सकता हालांकि इस दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे. नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी सदन में मौजूद नहीं थे, किसी के विरोध ना करने पर इस प्रस्ताव को समर्थित मान लिया गया. सभी आरोपियों को विधानसभा परिसर के ऊपर बने सेल में रात 12 बजे तक के कारावास की सजा सुनाई गई है.