Manoj Tiwari v/s Kanhaiya Kumar: दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर 25 मई को वोटिंग है, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा हॉट सीट नॉर्थ-ईस्ट को माना जा रहा है। बीजेपी के मनोज तिवारी और कांग्रेस-आम आदमी पार्टी के कन्हैया कुमार ने मुकाबले को बेहद हॉट बना दिया है। इस सीट को जीतने की अहमियत इसी से समझ सकते हैं कि यहां मनोज तिवारी के लिए खुद पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तो कन्हैया कुमार के लिए राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल प्रचार में पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
जो अरविंद केजरीवाल कभी कांग्रेस को पानी पी-पीकर कोसते थे, वही केजरीवाल आजकल दिल्ली में कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया कुमार के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। जेल से अंतरिम जमानत मिलने के बाद केजरीवाल सबसे ज्यादा ताकत नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली पर लगा रहे हैं। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के भजनपुरा, बुराड़ी, बाबपुर, तिमारपुर में सभाएं कर रहे हैं। कभी नुक्कड़ रैलियां करते हैं तो कभी खुली गाड़ी पर चढ़कर रोडशो करते हैं। भजनपुरा की रैली में तो उन्होंने मनोज तिवारी को रिंकिया के पापा कहकर संबोधित किया और प्रधानमंत्री मोदी को थानेदार जैसी संज्ञाएं दे डालीं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली को जीतना नाक का सवाल बना लिया है, बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी भी केजरीवाल को उन्हीं की भाषा में जवाब दे रहे हैं। रिंकिया के पापा वाले केजरीवाल के बयान पर मनोज तिवारी बेहद गुस्से में हैं। मनोज तिवारी कह रहे हैं कि ये देश की बेटियों का अपमान है, स्वाति मालीवाल प्रकरण का हवाला देते हुए मनोज तिवारी कह रहे हैं जो केजरीवाल और उनकी पार्टी एक बेटी को अपने ड्राइंग रूम में पिटवाती है, वो बेटियों के नाम पर वोट मांगने की हकदार नहीं है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में केजरीवाल जनता से भावुक अपील कर रहे हैं, ये दुहाई दे रहे हैं कि जनता ने उनको वोट दिया तो उन्हें फिर से जेल नहीं जाना पड़ेगा। दिल्ली में वैसे तो सभी 7 सीटों पर 25 मई को वोट डाले जाने वाले हैं, लेकिन नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में कुछ ऐसा हो रहा है जो दिल्ली की बाकी सीटों पर नहीं। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की सियासी हलचल पर सोशल मीडिया रंगा पड़ा है। सोशल मीडिया पर मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार के खेमे युद्ध लड़ रहे हैं। हाई वोल्टेज चुनाव प्रचार में तब नया मोड़ आ गया जब पिछले हफ्ते एक रैली के दौरान कन्हैया कुमार की पिटाई हो गई। कन्हैया कुमार को थप्पड़ मारने का आरोप एक बीजेपी कार्यकर्ता पर लगा। कन्हैया कुमार ने इसे भी प्रचार में इस्तेमाल कर लिया।
मनोज तिवारी दिल्ली की सातों सीटों में बीजेपी के एकमात्र उम्मीदवार हैं, जिन्हें पार्टी ने तीसरी बार मौका दिया है। दिल्ली की बाकी 6 लोकसभा सीटों के उम्मीदवार बदल दिए गए हैं, लेकिन मनोज तिवारी पर बीजेपी ने फिर से भरोसा जताया है। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में मुकाबला पूर्वांचली बनाम पूर्वांचली है। गायक-अभिनेता बनाम छात्र नेता है। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार अच्छे वक्ता माने जाते हैं। उन्होंने उत्तर पूर्वी दिल्ली की लड़ाई को रोचक बना दिया है। चुनाव शुरू होने के वक्त यहां एकतरफा माहौल दिख रहा था, लेकिन अब चुनाव कांटे का दिख रहा है। इस इलाके में कांग्रेस से ज्यादा आम आदमी पार्टी की ताकत मौजूद है। कहा जाता है कि इसी इलाके ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचाया था। लेकिन कांग्रेस से समझौते के बाद केजरीवाल की पार्टी को ये सीट कांग्रेस के लिए छोड़नी पड़ी। इससे कांग्रेस में अंदरूनी कलह इतनी बढ़ी कि दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। अरविंदर सिंह लवली खुद इस सीट से टिकट पाने की कोसिश कर रहे थे।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली को पिछले 10 साल से बीजेपी ने अपना गढ़ बना लिया है। मनोज तिवारी की हैट्रिक की संभावना को देखते हुए ही पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है। मनोज तिवारी 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर शीला दीक्षित जैसी दिग्गज नेता को हरा चुके हैं। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़े थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मनोज तिवारी ने कांग्रेस की दिग्गज नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। मनोज तिवारी को 2019 के चुनाव में कुल 7,87,799 वोट मिले थे। उस समय आम आदमी पार्टी से दिलीप पांडे चुनाव लड़े थे। पांडे को 1,90, 856 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार शीला दीक्षित 4 लाख 21 हजार 697 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही थीं।
इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन है। अगर दोनों पार्टियों का वोटबैंक एकजुट हो जाता है तो मनोज तिवारी के सामने चुनौती खड़ी हो सकती है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र दिल्ली का सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। यहां 24 लाख से अधिक मतदाता हैं और इनमें सबसे अधिक तादाद पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोगों की है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 10 सीटें आती हैं। बुराड़ी, तिमारपुर, सीमापुरी, रोहतास नगर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकलपुर, मुस्तफाबाद और करावल नगर। आम आदमी पार्टी के जनसमर्थन वाली इन विधानसभाओं ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के चुनावी समीकरण को काफी दिलचस्प बना दिया है। नई दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के मुकाबले इस इलाके में गरीब मतदाताओं की तादाद काफी ज्यादा है। कांग्रेस ने कन्हैया कुमार पर इसलिए भी दांव लगाया है क्योंकि उनके भाषणों में ज्यादातर गरीबों, मजदूरों और महिलाओं की बात होती है। सोशल मीडिया में नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की सियासी जंग को कभी बिहारी बनाम बिहारी कहा जा रहा है तो कभी तिवारी बनाम असली क्रांतिकारी। जनता किस पर ऐतबार करती है इसका पता 4 जून को चलेगा।