अमेरिका में भारतीय मूल के एक छात्र के हत्यारे को 22 साल बाद मौत की सजा दी गई है। इस तरह से दो दशक से भी ज्यादा के लंबे इंतजार के साथ उस छात्र के परिवार को आखिरकार इंसाफ मिल गया। मृतक छात्र का नाम शरथ पुल्लरु था जिसकी 2002 अमेरिका में गोली मारकर हत्या कर दी थी। 24 वर्षीय शरथ पुल्लरु पढ़ाई के लिए अमेरिका गया था। पुल्लरु साइड में अमेरिका में स्टोर क्लर्क का काम भी करता था। पुल्लरु की पर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस दौरान शरथ के साथ एक अमेरिकी जेनेट मिलर की भी मौत हो गई थी।
माइकल को जहर के इंजेक्शन से दी मौत
पुल्लरु की मौत अमेरिका के एक मूल निवासी माइकल डिवाइन ने की थी। उसी मामले में ओक्लाहोमा के अटॉर्नी जनरल जेंटनर ड्रमंड ने स्मिथ को मौत की सजा सुनाई थी। आज गुरुवार को मैकलेस्टर के ओक्लाहोमा स्टेट पेनिटेंटरी में माइकल को जहर का इंजेक्शन देकर मौत की सजा दे दी गई।
अटॉर्नी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि मैं प्रार्थना करता हूं कि आज का दिन जेनेट मिलर और भारतीय मूल के शरथ पुल्लरु के परिवार जनों के लिए कुछ हद तक सुखद होगा।
ड्रमंड ने हत्याओं पर किया दुख व्यक्त
ओक्लाहोमा के अटॉर्नी जनरल जेंटनर ड्रमंड ने उन्होंने इन हत्याओं पर दुख भी व्यक्त किया और शरथ पुल्लुरु की प्रशंसा करते हुए कहा कि, वह दयालु दिल वाले बुद्धिमान युवक थे। वो अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आए थे और उनका भविष्य उज्ज्वल था।
ड्रमंड ने कहा, “उन्हें सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे गलत समय पर गलत जगह पर थे।”
पिछले महीने, शरथ के भाई, हरीश पुल्लुरु ने स्मिथ को किसी भी तरह की रियायत देने का कड़ा विरोध किया था और कहा था कि शरथ की मृत्यु से उनके परिवार को गहरा सदमा लगा था पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हरीश ने शरथ को “एक प्यारा बेटा, भाई और चाचा” बताया।