Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की सरकार को जमकर फटकार लगाई है। CJI की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने राज्य सरकार का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल से कई तीखे सवाल किए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़े शब्दों में पूछा कि बॉडी आठ बजे रात को पैरेंट्स को दी गई और उसके बाद 11 बजकर 45 मिनट पर केस दर्ज क्यों हुआ? कोर्ट ने आगे पूछा कि क्या शुरुआत में मर्डर केस दर्ज नहीं किया गया? कॉलेज के प्रिंसिपल उस समय क्या कर रहे थे? उन्होंने एक्शन क्यों नहीं लिया?
इन तीखे सवालों का जवाब सिब्बल के पास नहीं था। साथ ही कोर्ट ने एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसकी अंतरिम रिपोर्ट तीन हफ्ते में देनी होगी। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने CBI से 22 अगस्त को स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
नेशनल टास्क फोर्स में कौन-कौन हैं?
कोलकाता रेप-मर्डर केस (Kolkata Rape-Murder Case) पर सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच द्वारा नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया गया। इस टास्क फोर्स में सर्जन वाइस एडमिरल आर सरिन, डॉक्टर डी नागेश्वर रेड्डी, डॉक्टर एम श्रीनिवास, डॉक्टर प्रतिमा मूर्ति, डॉक्टर गोवर्धन दत्त पुरी, डॉक्टर सौमित्र रावत, प्रोफेसर अनिता सक्सेना (कार्डियोलॉजी विभाग प्रमुख) AIIMS दिल्ली, प्रोफेसर पल्लवी सापरे (डीन ग्रांट मेडिकल कॉलेज, मुंबई) और डॉक्टर पद्मा श्रीवास्तव (न्यूरोलॉजी विभाग, AIIMS) के नाम शामिल हैं।
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राष्ट्रीय कार्यदल के पदेन सदस्य: (i) भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, (ii) भारत सरकार के गृह सचिव, (iii) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, (iv) राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष, (v) राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष।
कोर्ट ने टास्क फोर्स को दी डेडलाइन
टीम का गठन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने टास्क फोर्स को भी डेडलाइन दी है। सीजेआई के नेतृत्व में जारी निर्देशों के अनुसार, टास्क फोर्स को तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट देनी होगी। उसके बाद दो महीने में फाइनल रिपोर्ट देनी होगी। सीजेआई ने कहा कि राज्य सरकार यानी ममता सरकार को भी अस्पताल में तोड़फोड़ के बारे में स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी होगी।
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इस मामले (Kolkata Rape-Murder Case) पर अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी। बता दें कि इसी दिन सीबीआई को भी अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश करनी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक मामला नहीं, बल्कि देश भर के डॉक्टर-नर्स के सेफ्टी का मसला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बड़ी बातें
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कई बड़ी बातें कही। अदालत ने कहा कि 9 तारीख को रेप और मर्डर हुआ, जिसने देश को झकझोर दिया। प्राइवेसी डिग्निटी को तार-तार किया और पीड़िता की पहचान को उजागर किया गया। पेरेंट्स को आत्महत्या करने की बात कही गई, बाद में केस सीबीआई को ट्रांसफर हुआ।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि घटना को लेकर देश भर में प्रदर्शन हुए। उस दौरान कई लोग अस्पताल में में घुसे, तोड़फोड़ की। 17 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल हुई। राज्य सरकार तोड़फोड़ रोकने के लिए तैयार नहीं थी। लगातार मेडिकल पेशेवर टारगेट किए जा रहे हैं। इसलिए शीर्ष अदालत चिंतित है और संज्ञान लिया है।
संस्थान केस में अरुणा केस उदाहरण है: सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि संस्थान केस में अरुणा केस उदाहरण है। सेक्सुअल वायलेंस गंभीर चिंता का विषय है। सेफ्टी की चिंता सभी मेडिकल पेशेवर को है। ये सिर्फ डॉक्टर की बात नहीं है, बल्कि देश हित में सभी मेडिकल स्टाफ की सेफ्टी सुनिश्चित करने की बात है। संविधान समानता की बात करता है। कई स्टेट ने हेल्थ केयर सेफ्टी के लिए कानून बना रखे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्राउंड रियलिटी ये है कि मेडिकल प्रोफेशनल्स को खतरे में छोड़ दिया गया है। कोई ट्रांसपोर्टेशन नहीं है, सीसीटीवी नहीं होता है। पेशेंट और अटेंडेंट कहीं भी चले जाते हैं। मेडिकल स्टाफ के लिए सपोर्टिव सिस्टम नहीं है।
CBI को दिया गया गुरुवार तक का समय
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करे। छानबीन का स्टेज की जानकारी देने को भी कहा गया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम रिपोर्ट देखना चाहते हैं। इसके अलावा, सीजेआई ने कहा कि हम नेशनल टास्क फोर्स बनाएंगे। टास्क फोर्स सेफ्टी, वर्किंग कंडीशन आदि के बारे में बताएगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को कहा कि वह हम पर भरोसा करें। कोर्ट ने उनसे अपना प्रोटेस्ट को वापस लेने का भी आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों पर राज्य पुलिस संजीदगी से काम ले।
ममता सरकार को लगाई फटकार
मामले (Kolkata Rape-Murder Case) की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ममता सरकार से कई तीखे सवाल किए। सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच ने कोलकाता पुलिस से पूछा कि क्या पेरेंट्स को लड़की को चार घंटे नहीं मिलने दिया गया? जिस पर सिब्बल ने कहा कि यह तथ्य ठीक नहीं है।
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इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या शुरुआत में मर्डर केस दर्ज नहीं किया गया? कॉलेज के प्रिंसिपल उस समय क्या कर रहे थे? उन्होंने एक्शन क्यों नहीं लिया? चीफ जस्टिस ने अस्पताल में भारी भीड़ घुसने पर भी सवाल किया कि जब अस्पताल में मॉब पहुंचा तो पुलिस क्या कर रही थी? पुलिस ने क्राइम सीन को क्यों प्रोटेक्ट नहीं किया? मॉब को अंदर कैसे जाने दिया गया? प्रिंसिपल के इस्तीफा देने पर क्या उन्हें कहीं और नियुक्त किया गया? ज्यादातर सवालों के जबाव सिब्बल कोर्ट को नहीं दे पाए।
पीड़िता की फोटो वायरल करने पर सीजेआई का सवाल
महिला डॉक्टर का फोटो उजागर करने पर कोर्ट ने चिंता जाहिर की। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने विक्टिम के नाम और फोटो प्रकाशित और प्रसारित किए जाने पर गंभीर चिंता जताई।
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कानून और जजमेंट में कहा गया है कि नाम उजागर ना हो, लेकिन फिर भी किया गया, यह गंभीर चिंता का विषय है। सीजेआई ने कहा कि एक यंग डॉक्टर का जीवन खत्म हो गया और फिर उसका नाम और फोटो सर्कुलेट हुआ।