Ayodhya Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि राम मंदिर न तो सही स्थान पर बना है, न सही नक्षत्र में बना है और न ही सही व्यक्ति द्वारा इसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है।
जानकारी के मुताबिक, बीते दिन लालगंज के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में चल रही कथा के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी को वर्णाश्रम व्यवस्था के प्रति भ्रम था। अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में उन्होंने वर्णव्यवस्था को अस्वीकार किया। इसी का परिणाम रहा कि भाजपा अयोध्या, चित्रकूट, नासिक और रामेश्वरम में चारों खानेंचित्त हो गई।
कलियुग मृत्युलोक का खलनायक है
पुरी पीठाधीश्वर ने कहा कि ईश्वर मनुष्य की योग्यता के अनुरूप उसकी भूमिका का निर्माण किया करते हैं। कलयुग में ब्राह्मण सदकर्म में रहेगा तो ब्राह्मण के रूप में भगवान कल्कि का अवतार होगा। कलियुग मृत्युलोक का खलनायक है। भगवान प्राणी की योग्यता के अनुरूप मृत्युलोक में उसकी भूमिका का निर्माण किया करते हैं।
पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती ने सनातन धर्म के प्रति लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि पेट परिवार तक ही सीमित न रखकर हिन्दुत्व व सनातन संस्कृति के प्रति अपने कर्म और धर्म का सदाचरण जीवन का ध्येय बनाएं। संवाद सद्भावना पूर्ण होना चाहिए। हिन्दू राष्ट्र के रूप में भव्य भारत राष्ट्र की मानसरोवर से कन्याकुमारी तक वृहद स्थापना पुरुषार्थ के स्वसंकल्प में सुनिश्चित है।
मनुष्य को सदैव विकृति से दूर रहना चाहिए
पुरी पीठाधीश्वर ने सनातनियों को बताया कि संकल्प शक्तिवान होता है। उन्होंने कहा कि देवता, ऋषि, मुनि का मार्ग जीवन में असंभव को संभव बनाने का मार्ग प्रशस्त किया करता है। मनुष्य को सदैव विकृति से दूर रहना चाहिए।
लालगंज कस्बे में आयोजित हिन्दू राष्ट्रोत्कर्ष संगोष्ठी में श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की मांग को लेकर अभियान समिति की ओर से पूरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द को पत्र सौंपा गया।
अभियान समिति के राष्ट्रीय संयोजक ज्ञानप्रकाश शुक्ल की अगुवाई में समिति के पदाधिकारियों ने सौंपे गए पत्र में भारत सरकार से श्रीरामचरितमानस पाठ को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की मांग उठाई है। पत्र सौंपकर कहा गया कि बाल्मीकि रामायण के अनादर पर नई भारतीय दंड संहिता में राजद्रोह का प्रावधान किया जाना चाहिए।