जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में हाल ही में हुए आतंकी हमले में भारतीय सेना ने बताया कि आतंकवादियों के समूह में सेवानिवृत्त पाकिस्तानी सैनिक भी शामिल थे।
उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने बताया कुछ आतंकवादी सेवानिवृत्त सैनिक पाए गए हैं। पाकिस्तान विदेशी आतंकवादियों को यहां लाना चाहता है क्योंकि यहां कोई स्थानीय भर्ती नहीं है। हम विदेशी आतंकवादियों को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
गुरुवार को राजौरी के दरमसल के बाजीमल इलाके में सुरक्षा बलों के साथ 36 घंटे तक चली मुठभेड़ में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) संगठन के दो विदेशी आतंकवादियों को मार गिराया गया। 14 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडर ब्रिगेडियर सौमीत पटनायक ने बताया कि सुरक्षा बलों ने महिलाओं और बच्चों सहित फंसे हुए नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाला। गोलीबारी के दौरान सेना के पांच जवानों – कैप्टन एमवी प्रांजल, कैप्टन शुभम गुप्ता, हवलदार अब्दुल माजिद, लांस नायक संजय बिष्ट और पैराट्रूपर सचिन लौर ने अपनी जान दे दी।
भारतीय सेना ने राजौरी जिले के जंगलों में उस ठिकाने का पता लगाया जिसका इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा हाल ही में राजौरी मुठभेड़ में अपने अभियानों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था। जिसमें सेना के पांच जवानों की जान चली गई थी। जवानों के पार्थिव शरीर को राजौरी से जम्मू के आर्मी जनरल अस्पताल लाया गया जहां पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया। जवानों के अंतिम संस्कार के लिए ताबूतों को जम्मू से उनके पैतृक स्थानों पर हवाई मार्ग से ले जाया गया ।
लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि एक साल के भीतर दो दर्जन से अधिक विदेशी आतंकवादियों के क्षेत्र को खत्म करने के लिए राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों में अभियान तेज कर दिया गया है। सेना कमांडर ने बताया दो खूंखार विदेशी आतंकवादियों का मारा जाना क्षेत्र को अस्थिर करने की पाकिस्तान की योजना के लिए एक बड़ा झटका है।