22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शुद्ध सफेद मकराना संगमरमर के गर्भगृह में भगवान राम की उनके बाल रूप की मूर्ति स्थापित की जाएगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव, चंपत राय ने कहा कि भगवान राम की 51 इंच ऊंची मूर्ति जिसमें पांच साल के बच्चे रामलला को प्रतिबिंबित किया गया। उन्होंने कहा “जिसमें सर्वोत्तम दिव्यता होगी और जो बच्चे जैसा रूप प्रदर्शित करेगा उसका चयन किया जाएगा।”
चंपत राय ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मानचित्र का वर्णन करते हुए कहा कि पूरे ढांचे के निर्माण में कुल 21-22 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा “इतनी बड़ी पत्थर की संरचना पिछले 100-200 वर्षों में उत्तरी भारत में भी नहीं बनाई गई होगी यहां तक कि दक्षिण में भी नहीं। उन्होंने कहा इंजीनियरों द्वारा बनाई गई 56-परत वाली कृत्रिम चट्टान की नींव संरचना के नीचे रखी गई है। दूसरा कर्नाटक और तेलंगाना के 17 हजार ग्रेनाइट ब्लॉकों से युक्त एक चबूतरा जमीन से 21 फीट ऊपर रखा गया है। लगभग पांच लाख घन फीट मंदिर की संरचना के निर्माण में भरतपुर, राजस्थान के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। मंदिर का गर्भगृह शुद्ध सफेद मकराना संगमरमर से बना है जो तैयार है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को राम मंदिर के अभिषेक समारोह में भाग लेने के लिए तैयार हैं। इस कार्यक्रम के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं जिसमें गणमान्य व्यक्ति और सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होंगे।
ट्रस्ट सचिव ने कहा कि मंदिर का निर्माण 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिंदुओं को सौंपी गई 70 एकड़ भूमि के उत्तरी भाग पर किया जा रहा है। यहां तीन मंजिला मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर के भूतल का काम बाकी है। पहली मंजिल निर्माणाधीन है। मंदिर चार कोनों वाली दीवार से घिरा हुआ है जिसकी लंबाई लगभग 750 मीटर है।”
चंपत राय ने बताया कि मंदिर की सुरक्षा करने वाली दीवार की खासियत यह है कि यह 14 फीट चौड़ी है। उन्होंने कहा “प्राकार भी दो मंजिला होगा, जिसमें भक्तों को ऊपरी मंजिल पर मंदिर की परिक्रमा करने की अनुमति होगी।”
राय ने कहा प्राकार निर्माणाधीन है और इसमें 6-8 महीने और लग सकते हैं। मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा “तीर्थयात्रा सुविधा केंद्र (पीएफसी) में 25 हजार तीर्थयात्रियों के लिए लॉकर सुविधाएं बनाई गई हैं। पीएफसी के पास एक छोटा अस्पताल भी बनाया जाएगा। इसके लिए एक विशाल परिसर भी बनाया गया है।” तीर्थयात्रियों को शौचालय और अन्य सुविधाओं के लिए यहां दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए जा रहे हैं जहां इस परिसर के अपशिष्ट पदार्थों का उपचार किया जाएगा।”
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव ने कहा कि बिजली की आपूर्ति सीधे पावर हाउस से ली गई है। उन्होंने कहा “बिजलीघर से सीधी समर्पित लाइन ली है 33 किलोवाट, इसका रिसीविंग स्टेशन और तीन वितरण स्टेशन परिसर के अंदर बनाए गए हैं। नगर निगम की विद्युत लाइन पर कोई दबाव नहीं होगा।”
ट्रस्ट सचिव ने बताया कि अगर फायर ब्रिगेड को पानी की जरूरत पड़ती है तो ढांचे के पास भूमिगत जल भंडार भी खोदा गया है। चंपत राय ने कहा “अगर जरूरत पड़ी तो हम सरयू नदी से या जमीन से पानी लेंगे। लेकिन भूजल जमीन में ही जाएगा। यहां 20 एकड़ से ज्यादा जमीन पर निर्माण कार्य चल रहा है और 50 एकड़ में हरियाली है। उन्होंने कहा सौ साल पुराने। ऐसे घने जंगल हैं जहां सूरज की किरणें जमीन तक नहीं पहुंच पाती हैं। इसलिए जमीन का जलस्तर कभी नीचे नहीं जाएगा। सरयू में पानी नहीं जाएगा, हम जीरो डिस्चार्ज पॉलिसी पर काम कर रहे हैं।”
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अयोध्या हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करने के लिए मंदिर शहर पहुंचने वाले हैं जिसे विशेष रूप से मंदिर मॉडल पर नया रूप दिया जा रहा है।