WHO: कोरोना जैसी महामारी के बाद पूरी दुनिया में तेजी से एक जानलेवा जीवाणु फैल रहा है। इस जानलेवा जीवाणु को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत समेत 16 देशों में चेतावनी जारी की है।
इस जीवाणु का नाम हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला निमोनिया (एचवीकेपी) रखा गया है। WHO ने यह जानकारी 127 में से 43 देशों से सूचना एकत्रित करने के बाद दी है। 43 में से 16 देशों में एचवीकेपी रोगाणु के मामले सामने आए हैं। इसमें भारत भी शामिल है।
इन देशों में तेजी से फैल रहा ये जानलेवा जीवाणु
WHO के मुताबिक, इस जानलेवा जीवाणु के मामले अब तक अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कंबोडिया, हांगकांग, भारत, ईरान, जापान, ओमान, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के अलावा अमेरिका में पाए गए हैं।
इनके अलावा 12 देशों में इस रोगाणु का नया स्ट्रेन एसटी 23-के1 भी सामने आया है। ये देश भारत, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ईरान, जापान, ओमान, फिलीपींस, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और यूनाइटेड किंगडम हैं।
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WHO ने बताया कि अभी तक किसी भी देश का एचवीकेपी रोगाणु पर ध्यान नहीं गया है। ज्यादातर डॉक्टर अभी तक इसके नैदानिक परीक्षण और इलाज की जानकारियां नहीं जानते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी है कि सभी देशों को अपनी प्रयोगशाला क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए। साथ ही उन्हें इस रोगाणु से प्रभावित क्षेत्रों का एक डाटा भी एकत्रित करना चाहिए।
WHO: भारत में 2016 में आया था पहला मामला
भारत में साल 2015 से इस रोगाणु को आइसोलेट करने का प्रयास किया जा रहा है। भारत में एचवीकेपी रोगाणु की पहचान 2016 में एक मरीज में हुई। इसके बाद रोगाणुरोधी प्रतिरोध को लेकर प्रयास तेज हुए हैं।
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हालांकि जिला और तहसील स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं में अभी भी इन्हें लेकर जानकारियों का अभाव है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए स्ट्रेन की पहचान के लिए आईसीएमआर की एक पूरी टीम कार्य कर रही है।
WHO: ऐसे चकमा दे रहा नया रोगाणु
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में क्लेबसिएला निमोनिया नामक संक्रमण होना आम है। इसके दो स्वरूप हैं, जिसमें पहला हाइपर विरुलेंट क्लेबसिएला निमोनिया (एचवीकेपी) और दूसरा क्लासिक के. निमोनिया (सीकेपी) है।
अब सबसे बड़ी चुनौती हमारे लिए ये है कि हमारे पास अभी प्रयोगशालाएं इनके बीच अंतर करने में सक्षम नहीं है। बता दें कि अगर कोई मरीज कार्बेपनेम-प्रतिरोध के चलते क्लेबसिएला निमोनिया से संक्रमित हुआ है और उसे हाइपर विरुलेंट स्ट्रेन भी है, तो मरीज की जान का जोखिम कई गुना अधिक बढ़ सकता है।
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