सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेदिक कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु रामदेव को सुनवाई के लिए अगली तारीख पर पेश होने का आदेश दिया है। बीमारियों के इलाज के लिए भ्रमित करने वाले विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि प्रबंधक को अवमानना का 27 फरवरी 2024 को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। लेकिन, उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया था। 21 नवंबर को सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेंगे। यह भी सुनिश्चित करेंगे कि मीडिया में भी किसी तरह का कोई बयान न दिया जाएं। इस आश्वासन को अदालत ने अपने आदेश में भी दर्ज किया है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमीनुल्लाह की पीठ ने कंपनी के प्रबंधक बालकृष्ण को नोटिस का जवाब न देने पर आपत्ति जताई। अब सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस के बाद उनके खिलाफ अवमाना की कार्रवाई शुरू की जाए।
IMA ने पतंजलि पर लगाये ये गंभीर आरोप
IMA ने आरोप लगाया था कि पतंजलि ने कोविड-19 के खिलाफ बदनाम करने के लिए एक कैंपेन चलाया था। इसके बाद अदालत ने पतंजलि को भ्रमित और जूठे विज्ञापन चलाने पर चेतावनी दी थी। इसके बाद खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए झूठी दवाई चलाने पर उन पर एक करोड़ का जुर्माना लगाने की पुष्टि की गई थी। एलोपैथिक फर्मास्यूटिकल पर अपनी विवादित टिप्पणी करने के लिए IMA के द्वारा कोर्ट में दायर की गई आपराधिक मामलों का सामना करने के लिए रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। अदालत ने केंद्र और IMA को नोटिस जारी करते हुए केस की सुनवाई के लिए 15 मार्च की तारीख घोषित की है। इस मामले पर बाबा रामदेव के खिलाफ IPC धारा 188, 269, और 504 के तहत सोशल मीडिया पर भ्रमित करने वाले विज्ञापन का इस्तेमाल करने पर केस दर्ज किया गया था।