सर्दी का मौसम अपने साथ अनेकों बीमारियां लेकर आता है। सर्दी के मौसम में ज्यादातर रेस्पिरेटरी डिजीज होने की संभावना सबसे अधिक होती है जिसमें निमोनिया भी शामिल है। छोटे बच्चों को निमोनिया का खतरा काफी अधिक होता है। क्योंकि बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है। जिसकी वजह से बच्चे आसानी से अनेकों बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए सर्दी के मौसम में बच्चो को सुरक्षित रखने के लिए उनके प्रति ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है वह भी खासकर निमोनिया से। निमोनिया सर्दियों में बच्चों को काफी आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है। वहीं दूसरी तरफ चीन में निमोनिया के कई नए मामले और अन्य देशों में भी इसके केस सामने आने की वजह से यह चिंता का एक नया विषय बन चुका है जिससे बच्चों को बचाने की खास जरूरत है।
निमोनिया के लक्षण
निमोनिया के शुरुआती अवस्था में लक्षण सर्दी या फ्लू से काफी समानता रखते हैं। हालाँकि निमोनिया के सक्षण सर्दीयों के फ्लू की तुलनी में अधिक समय तक रहने की संभावना है निमोनिया के अन्य लक्षणों में शामिल हैं- सांस लेते समय या खांसते समय सीने में दर्द महसूस होना, खांसी अक्सर बलगम के साथ, थकान, बुखार, पसीना और कंपकंपी वाली ठंड लगना, सांस लेने में दिक़्क़त अनुभव होना, उल्टी या दस्त।
निमोनिया से ऐसे करें बचाव
वैक्सीन दिलाएं
अपने बच्चे को निमोनिया से बचाने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें निमोनिया से बचाव के लिए वैक्सीन दिलाएं। निमोनिया की वैक्सीन दिलाने से बच्चों में इस बीमारी के खिलाफ एंटी-बॉडिज बन जाते हैं जो इससे बचाने में मददगार होते हैं।
भीड़ से दूर रखें
निमोनिया के पेथोजेन हवा के जरिए आपके बच्चे के शरीर में प्रवेश कर, आपके बच्चे को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए ऐसी जगहें, जहां भीड़ ज्यादा हो, वहां बच्चों को लेकर न जाएं। भीड़ वाले इलाके में बीमारी के फैलने का खतरा ज्यादा होता है।
बीमार लोगों से दूरी
बीमार लोगों से अपने बच्चों को दूर रखें। अगर आपके बच्चे का कोई दोस्त भी बीमार है या घर पर भी कोई बीमार है तो उनसे भी दूरी बनाकर रखें। निमोनिया और कॉमन कोल्ड आदि काफी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकता है। इसलिए बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बीमार व्यक्तियों से बच्चों को दूर रखें।
हाइजीन का ख्याल
निमोनिया जैसी रेस्पिरेटरी बीमारियां खराब हाइजीन की वजह से बच्चों को अपना शिकार बना सकते हैं। इसलिए अपने बच्चों को सिखाएं कि बाहर से आने के बाद साबुन से अच्छे तरह हाथों और पैरों को धोएं। इसके अलावा, बाहर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। साथ ही, मुंह, नाक, आंख आदि भी गंदे हाथों से न छूने दें।
छींकते समय मुंह ढकें
अपने बच्चों को छींकते समय मुंह और नाक को ढकने की सलाह दे। उन्हें अपने साथ हमेशा रुमाल या टीशू रखने के लिए कहें, ताकि, छींकते और खांसते समय ड्रॉपलेट्स हवा में न फैलें।