श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

मोबाइल एडिक्शन से बीमार हो रहा बचपन


आजकल की टेक्नोलॉजी भरी दुनिया में मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। सुबह के अलार्म से लेकर रात तक हम सभी मोबाइल फोन पर अपना समय व्यतीत करते हैं, और यही एक कारण हैं कि बच्चे हमे देखकर अपना ज्यादातर समय मोबाइल फोन पर ही बिताते हैं। जिसके कारण बच्चों को कई बीमारियों और मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

आखिर कैसे लगती है बच्चों को मोबाइल फोन की लत?

विशेषज्ञों के अनुसार 6 महीने से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चे अलग-अलग प्रकार के पिक्चर और रंगों से आकर्षित होते हैं, यही कारण है कि मोबाइल फोन के प्रति बच्चों का रूझान बढ़ता जाता है। मोबाइल से निकलने वाली रोशनी और उस पर नजर आने वाले पिक्चर,  मोबाइल से निकलने वाली आवाजें बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

अक्सर माँ बाप बच्चों को लाड-प्यार में गेम खेलने के लिए या वीडियो देखने के लिए मोबाइल फोन दे देते हैं। उन्हें बहलाने के लिए या खाना खिलाने के लिए बच्चों को अक्सर मोबाइल फोन दे दिया जाता है तो कई बार पेरेंट्स जब उन्हें कोई काम होता है। तब वह बच्चों को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल फोन देकर उन्हें बहला देते हैं ताकि वो अपना काम कर सके। जिससे बच्चे मोबाइल फोन के आदि हो जाते हैं तथा ज़िद करने लगते हैं कि उन्हें मोबाइल फोन ही चाहिए।

मोबाइल फोन से बच्चों पर होने वाले दुष्प्रभाव

हम सभी जानते हैं कि मोबाइल फोन की वजह से बच्चों का बचपन बस फोन की स्क्रीन तक ही सीमित रह गया है। ना तो बच्चे कहीं बाहर खेलने जाते हैं ना ही कोई फिजिकल एक्टिविटी  करते हैं। जिसके कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

1. न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर – फोन से निकलने वाली रेडिएशन को बच्चों के लिए काफी नुकसानदायक माना जाता है। जिसके कारण बच्चों को तरह-तरह की बीमारियाँ होतीं हैं उनमे से एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारण बच्चों को चलने, बोलने, सांस लेने, निगलने और सीखने की क्षमता में कमी होती है।

2. मोबाइल फोन की लत– कम उम्र में ही जब बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन आ जाता है तो बच्चों को इसकी लत लग जाती है। जिस कारण वो हर समय मोबाइल में ही लगे रहते हैं। मोबाइल फोन की आदत इतनी बढ़ जाती है कि बच्चों को खाने-पीने और सोने तक का होश नहीं रहता।

3. मानसिक विकास में दिक्कतें – मोबाइल फोन का एक सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि इससे बच्चों के मानसिक विकास में दिक्कतें हो सकती है। मोबाइल की लत बच्चों को इतनी हो जाती है कि उनका किसी भी काम में ध्यान नहीं होता। वहीं, सामाजिक और व्यवहारिक रूप से भी वह लोगों से जुड़ नहीं पाते। नतीजतन वास्तविक रूप से बच्चे में उम्र के हिसाब से जैसा विकास होना चाहिए, उसमें कहीं न कहीं बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।

4. नींद की समस्या– बच्चे मोबाइल में नई – नई चीजें देखते हैं, गेम खेलते हैं, कार्टून और अन्य कार्यक्रम देखते हैं। कई बार बच्चे गेम खेलने के लिए या कार्टून देखने के लिए देर रात तक जागते रहते हैं। इस कारण स्कूल के समय में अक्सर सोने की शिकायत करते हैं। मोबाइल फोन का हमेशा इस्तेमाल करना बच्चों में अनिद्रा की समस्या को जन्म देता है।

5. व्यवहार में बदलाव – बच्चों का मोबाइल फोन का लगातार इस्तेमाल करना उनके व्यवहार में बदलाव का एक बड़ा कारण बनती है। विशेषज्ञों की मानें तो मोबाइल की लत बच्चे में किसी अन्य काम में उसका ध्यान केंद्रित नहीं होने देती। ऐसे में अगर आप उससे एकदम से मोबाइल दूर करेंगे, तो हो सकता है कि उसके मन में आपके प्रति नकारात्मक भाव पैदा हों, वह चिड़चिड़ा भी हो सकता है या फिर मोबाइल को पाने के लिए नाराजगी (रोकर या खाना छोड़कर) जाहिर करे।

6. कैंसर का खतरा – एक रिसर्च में इस बात का पता चला हैं कि मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन कैंसर का कारण बन सकता है। साथ ही ब्रेन ट्यूमर के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है ।

7. सिर दर्द और आंखो की समस्या – मोबाइल फोन का लगातार इस्तेमाल सिर दर्द का कारण बनता है। कई शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि फोन का लगातार उपयोग सिर दर्द पैदा करती है। साथ ही लगातार मोबाइल फोन का उपयोग करने से बच्चों को कम उम्र में ही चश्मे लग जाते है।

बच्चों का मोबाइल की लत छुड़ाने के उपाय –

मोबाइल गेम की जगह बच्चों को आउटडोर गेम खेलने के लिए उत्साहित करना चाहिए। इससे बच्चों का शारीरिक  और मानसिक विकास भी होगा, साथ ही बच्चे सामाजिक तौर पर भी लोगों से जुड़ेंगे।

जितना हो सके माता पिता को बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए। इस उम्र में बच्चों को सबसे ज्यादा जरूरत मां-बाप के प्यार और दुलार की होती है। आपके साथ रहने से वह मोबाइल से अपने आप दूर रहेंगे।

बच्चों को प्यार से समझाएं कि मोबाइल फोन उनके लिए नुकसानदायक है। उनके शौक के हिसाब से बच्चों को डांस, म्यूजिक और पेटिंग जैसे कामों को करने के लिए प्रोत्साहित करे।

बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल की जगह उन्हें खिलौना देना चाहिए। उन्हें कोई पालतू जानवर लाकर दें। इससे बच्चे मोबाइल से तो दूर होंगे ही, साथ ही उनमें भावनात्मक सुधार भी होगा।

बच्चों के सामने जितना हो सके उतना फोन का इस्तेमाल कम करें। ऐसा करने से उनमें मोबाइल के प्रति रुझान और उसे पाने की चाहत कम होगी।


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

UP Cabinet
योगी सरकार ने PRD के जवानों को दी खुशखबरी, बढ़ाई गई सैलरी
Delhi Weather
दिल्ली-एनसीआर में हीटवेव की चेतावनी, राजस्थान में रेड अलर्ट जारी
KKR vs LSG Head to Head Records
IPL 2025: KKR ने जीता टॉस, लखनऊ सुपर जायंट्स को दिया पहले बल्लेबाजी का न्योता
Waqf Bill in Supreme Court
वक्फ कानून के खिलाफ SC में कई याचिकाएं दायर, 15 अप्रैल को हो सकती है सुनवाई
Supreme Court On Tamil Nadu Governor
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु गवर्नर को लगाई फटकार, जानें क्या हैं मामला?
pm modi
मुद्रा योजना से महिलाओं और युवाओं को लाभ, उद्यमिता को बढ़ावा: प्रधानमंत्री मोदी