सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज जस्टिस फातिमा बीवी का 96 साल की उम्र में कोल्लम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। फातिमा बीवी तमिलनाडु की राज्यपाल भी रहीं। 06 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुईं। जहां से 24 अप्रैल 1992 को वे सेवा निवृत हुईं।1997 से 2001 तक उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली अध्यक्ष और पहले केंद्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य के रूप में भी काम किया। फातिमा बीवी को केरल प्रभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो 2023 में केरल सरकार द्वारा दिया गया दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा फातिमा बीवी का जीवन राज्य में महिला उन्नति के इतिहास में एक अविस्मरणीय प्रतीक है। ऐसे युग में जब लड़कियों के लिए प्राथमिक शिक्षा भी कठिन थी। अपनी उच्च शिक्षा हासिल करते हुए उन्होंने न्यायपालिका में मुंसिफ से लेकर सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश तक प्रतिष्ठित पदों को सुशोभित किया। जस्टिस फातिमा बीवी के जरिए केरल को सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज मिलीं। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी न्यायपालिका में उच्च पदों पर पहुंचने वाली पहली मुस्लिम महिला हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा फातिमा बीवी के पास सामाजिक परिस्थितियों के नकारात्मक कारकों को एक चुनौती के रूप में देखकर उन पर काबू पाने की अद्वितीय शक्ति थी। इसने पूरे समाज, विशेषकर महिलाओं को प्रेरित किया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उनके कार्य भी उल्लेखनीय हैं। तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान न्यायिक जीवन में उनका संवैधानिक ज्ञान व्यावहारिक रूप में प्रकट हुआ। फातिमा बीवी एक महान व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं जिन्होंने कई मायनों में केरल का मान बढ़ाया। उनका निधन हमारे समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति है। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी के जीवन पथ पर श्रद्धांजलि के रूप में राज्य ने उन्हें केरल प्रभा पुरस्कार के लिए चुना है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह उनके रिश्तेदारों के दुख में शामिल हैं। मंत्रियों, विपक्ष और अन्य दलों के नेताओं ने उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।