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गोरखपुर गौरव संग्रहालय के जरिये आजादी के दीवानों को किया जाएगा याद- सीएम योगी

CM Yogi: गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ उत्तर भारत की प्रमुख और देश की संभवतः इकलौती पीठ है, जिसमें राष्ट्र प्रेम का जज्बा कूट-कूट कर भरा है। यह एक ऐसी पीठ है, जो लगभग एक सदी से लगातार राष्ट्रवाद की अलख जगा रही है।
CM Yogi Adityanath

CM Yogi: गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ उत्तर भारत की प्रमुख और देश की संभवतः इकलौती पीठ है, जिसमें राष्ट्र प्रेम का जज्बा कूट-कूट कर भरा है। यह एक ऐसी पीठ है, जो लगभग एक सदी से लगातार राष्ट्रवाद की अलख जगा रही है।

अपने समय के सबसे ताकतवर मुगल सम्राट अकबर से सीमित संसाधनों से लोहा लेने वाले महाराणा प्रताप भले चित्तौड़ के रहने वाले हों, लेकिन गोरक्षपीठ ने गोरखपुर में उनके आदर्शों को जीवंत कर रखा है। उनके देश प्रेम के जज्बे और जुनून से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में जिस महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी, आज वह वटवृक्ष बन कर पूरे पूर्वांचल में ज्ञान का प्रकाश स्तंभ बन चुका है।

पीठ की परंपरा के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हरदम प्रयास रहा है कि शहीदों से जुड़ी जगह लोगों खासकर युवाओं के लिए प्रेरणा स्थल बनें। खासकर युवा पीढ़ी उनके सरोकारों, देश प्रेम के प्रति उनके जज्बे, जुनून और कुर्बानी को जाने और खुद में भी यही भाव पैदा करे।

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इसी मकसद से आजादी की लड़ाई के टर्निंग पॉइंट माने जाने वाले चौरीचौरा की घटना की शताब्दी वर्ष को धूम धाम से मनाया गया। इसी मकसद से इस साल काकोरी ट्रेन एक्शन की शताब्दी भी मनाई जा रही है। हर जिले में शहीदों के नाम पर पार्क, पौधरोपण के दौरान शहीद वाटिका लगाने को प्रोत्साहन और 13 अगस्त से शुरू घर घर तिरंगा अभियान का भी के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के पीछे भी यही मकसद है।

गोरखपुर और गोरक्षपीठ का आजादी की लड़ाई से गहरा रिश्ता

गोरखपुर और गोरक्षपीठ का आजादी की लड़ाई से गहरा रिश्ता रहा है। जब गांधीजी का गोरखपुर आगमन हुआ था तो योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ ने युवा वालंटियर के साथ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नाम तो उनका चौरी चौरा कांड में भी आया था, पर वह ससम्मान उस केस से बरी हो गए।

चौरीचौरा के अलावा डोहरिया, नरहनपुर, महुआपार, अब देवरिया का पैना, डुमरी की रियासत, जिला जेल में पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का स्मारक, दाऊदपुर में शचींद्रनाथ सान्याल का स्मारक, शहीद अशफाक उल्ला खां के नाम से बना चिड़ियाघर गोरखपुर का जाएंगे आजादी में रिश्तों का सबूत है।

प्रदेश का सबसे ऊंचा तिरंगा गोरखपुर में

रामगढ़ताल के किनारे लगा 246 फीट ऊंचा और 540 वर्गमीटर में फैला प्रदेश का सबसे ऊंचा तिरंगा 15 किमी दूर से दिखता है। यह यहां आने जाने वालों के आकर्षण का केंद्र भी है। रेलवे स्टेशन के सामने महाराणा प्रताप की चेतक पर सवार भव्य मूर्ति भी देश भक्ति की प्रेरणा देती है।

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गोरखपुर गौरव केंद्र शहीदों और महान लोगों की यादों को सहेजेगा

अब तो मुख्यमंत्री की पहल से गोरखपुर में गौरव संग्रहालय भी बन रहा है। इसमें उन सभी लोगों की मूर्तियां रहेंगी और उनके कृतित्व व व्यक्तित्व की तफसील से जानकारी मिलेगी जिन्होंने जंगे आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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