देश की सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। इसी बीच पार्टी के हार के कारण सामने आ गए हैं। पार्टी ने यूपी में हार के कारणों की समीक्षा की। सूत्रों के मुताबिक, जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसमें पार्टी की हार के कारणों के बारे में जिक्र किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी नेताओं द्वारा संविधान बदलने की बात और पेपर लीक के मुद्दे को मुख्य कारण माना गया है। कुल 15 पेज की रिपोर्ट में यूपी में पार्टी की हार के 12 कारण बताए गए हैं। इस समीक्षा रिपोर्ट को पार्टी के पदाधिकारियों के सामने पेश किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, यूपी में भाजपा की हार की समीक्षा के लिए करीब 40 हजार कार्यकर्ताओं से बातचीत की गई। एक लोकसभा क्षेत्र में करीब 500 कार्यकर्ताओं से बात हुई है। रिपोर्ट में साफ हो गया है कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में भाजपा के वोट घटे। पार्टी का गढ़ माने वाले क्षेत्रों अवध, काशी और गोरखपुर में 2019 की तुलना में पार्टी की सीटें घटी हैं। रिपोर्ट की मानें तो संविधान संशोधन के बयानों ने पिछड़ी जाति को बीजेपी से दूर किया। इसके अलावा गैर यादव, ओबीसी और गैर जाटव एससी के वोट सपा को गए।
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भाजपा की हार के मुख्य कारण
1- संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी। विपक्ष का “आरक्षण हटा देंगे” का नैरेटिव बना देना।
2- प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा।
3- सरकारी विभागों में संविदाकर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा।
4- बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जिलों में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना।
5- जिले लेवल पर आपसी लड़ाई का जिक्र जिसमें विधायक, प्रत्याशी और जिलाध्यक्ष के भी नाम शामिल।
6- बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए।
7- टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई, जिसके कारण भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हुआ।
8- थाने और तहसीलों को लेकर काम न होने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी।
9- सवर्ण मतदाता कुछ लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा से दूर चले गए।
10- पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव बीजेपी की तरफ नहीं रहा।
11- अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा-कांग्रेस की ओर चला गया।
12- बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नहीं काटे, बल्कि जहां बीजेपी समर्थक वर्गों के प्रत्याशी उतारे गए वहां वोट काटने में सफल रहे।