वाराणसी जिला न्यायालय आज ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वैज्ञानिक रिपोर्ट पेश करेगा। ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में आज अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की अर्जी पर हिंदू पक्ष कोर्ट में अपनी आपत्ति पेश करेगा। जिसमें जज से ASI रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में पेश करने की मांग की गई है जो हिंदू पक्ष के मुताबिक साफ तौर पर ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन’ है।
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सोमवार को कोर्ट से कहा कि एएसआई रिपोर्ट किसी भी पक्ष को न दी जाए जिस पर हिंदू पक्ष आपत्ति जता रहा है। हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल नहीं की जाएगी।
हिंदू पक्ष वकील एडवोकेट सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा “मुस्लिम पक्ष का एक आवेदन भी अदालत के समक्ष है कि रिपोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया जाए और रिपोर्ट का निपटारा होने तक इसे सार्वजनिक डोमेन में प्रकट न किया जाए। हमने 18 दिसंबर को इस पर आपत्ति जताई थी और उल्लेख किया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया है कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल नहीं की जाएगी। इसलिए कोर्ट ने आज की तारीख दी थी और आज सुनवाई होगी। रिपोर्ट खुले या सीलबंद लिफाफे में दाखिल की जाएगी या नहीं, इस पर सुनवाई होगी।”
इससे पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाना “सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन” है और कहा कि हिंदू पक्ष ने जिला अदालत में एक आवेदन दायर किया है और रिपोर्ट की एक प्रति मांगी है। उन्होंने कहा “हमने जिला अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया है कि हमें रिपोर्ट की एक प्रति प्रदान की जानी चाहिए और मीडिया पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है कि आप इस रिपोर्ट के बारे में बात नहीं कर सकते। यदि जिला अदालत कोई आदेश पारित नहीं करती है जो यह कानून के अनुरूप है हम उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपील दायर करेंगे।”
गौरतलब है कि एएसआई की टीम ने 92 दिनों तक ज्ञानवापी परिसर में सर्वे किया था और सीलबंद सर्वे रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। इससे पहले इस साल अगस्त में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी।