नये संसद भवन का देश के प्रधानमंत्री 28 मई को उद्घाटन करने वाले है. 28 मई को होने वाले उद्घाटन कार्यक्रम का विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया है. लग रहा है कि इस कार्यक्रम से देश का समूचा विपक्ष गायब ही रहेगा. इसके लिए करीब 19 विपक्षी दलों ने बुधवार को घोषणा भी कर दी कि वो रविवार को होने वाले इस कार्यक्रम से दूर रहेंगे.
विपक्ष का कहना है कि ये उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों से होना चाहिए जबकि इसका उद्घाटन देश के पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों हो रहा है.
विपक्ष का कहना है कि संवैधानिक रूप से ये अधिकार राष्ट्रपति को मिलना चाहिए लेकिन सरकार अपनी मनमानी कर रही है. देश में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच की खाई अब काफी चौड़ी हो चुकी है जो हाल फिलहाल तो पटती हुई नहीं दिख रही है.
लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद भवन का उद्घाटन और विपक्ष का पूरी तरह से इस उद्घाटन से बाहर होना कहां तक तर्क संगत है. लेकिन सबके अपने अपने तर्क है. कांग्रेस के राहुल गांधी ने 21 मई को एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति जी को ही करना चाहिए प्रधानमंत्री को नहीं.
इसके बाद उनका एक ट्वीट और आया जिसमें राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना ये देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. आपको बता दे कि 18 मई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पीएम को नए संसद भवन के उद्घाटन करने का निमंत्रण दिया गया था.
एक पुरानी कहावत है मतभेद होने में कोई बुराई नहीं है सबके अपने अलग अलग मत हो सकते है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए क्योंकि मनभेद की खाई पटती नहीं है सरकार और विपक्ष के बीच भी ऐसी ही स्थिति होती दिख रही है दोनों में मतभेद तो रहता ही है लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दोनों में मनभेद भी उच्च स्तर का है. विपक्ष का कहना है कि सरकार समय समय पर अपनी मनमानी करती रहती है, जिससे विपक्ष को लगता है की उसकी तौहीन हो रही है.
नए संसद भवन की आधारशिला 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी ने रखी थी. इसको बनाने में करीब 971 करोड़ रूपये का खर्चा आया है. इस नयी बिल्डिंग में 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है. इनमें 888 लोकसभा और 384 राज्यसभा सांसद है. वहीं बात करे पुराने संसद भवन की तो
संसद का वर्तमान भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ यानी इसे बने हुए 93 वर्ष साल हो चुके हैं. उस समय इस पर 83 लाख का खर्चा आया था वहीं इसे बनाने में 6 साल का समय लगा था.