Connaught Place: दिल्ली को देश का दिल कहा जाता है। तो वहीं, कनॉट प्लेस को दिल्ली का दिल कहा जाता है। साल 1929 में बनाया गया कनॉट प्लेस पर्यटन के लिए काफी महशूर है। यहां पर हर बड़ी कंपनी के शोरूम हैं। विदेशी टूरिस्टों के लिए ये जगह शॉपिंग लिस्ट में सबसे ऊपर होती है। हर साल यहां पर लाखों विदेशी टूरिस्ट आते हैं। यहां पर देश की सबसे महंगी ब्रांड के शोरूम हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कनॉट प्लेस का मालिक कौन है, यहां मौजूद दुकानों का किराया कहां जाता है और इसका इतिहास क्या रहा है? आइए इन सभी बातों के बारे में विस्तार से जान लें…
कनॉट प्लेस का मालिक
कनॉट प्लेस में देश-विदेश से पर्यटक घूमने आते हैं। यहां विदेश से आए पर्यटक दुकानों से शॉपिंग करते दिख जाएंगे, लेकिन सीपी परिसर के अंदर संपत्ति का स्वामित्व किसके पास है, आखिर सीपी में मौजूद इन दुकानों का मालिक कौन है? दरअसल, इन सभी दुकानों का मालिकाना हक भारत सरकार के पास है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ही दिल्ली के कनॉट प्लेस की मालिक है।
कनॉट प्लेस की दुकानों का किराया
कनॉट प्लेस में शॉपिंग और खाने-पीने के लिए कई दुकानें मौजूद हैं। इन दुकानों और बाकी जगहों को आजादी से पहले काफी कम दामों में लीज पर दिया गया था। आज के समय में भी Old Delhi Rent Control Act के तहत कई दुकानों को काफी कम किराया देना पड़ता है, लेकिन कुछ दुकानों को तुलनात्मक रूप से ज्यादा किराया देना पड़ता है। Starbucks और Pizza Hut को यहां लाखों रूपए का किराया देना पड़ता है।
क्या है कनॉट प्लेस का इतिहास?
कनॉट प्लेस को 1929 में बानाया गया था। कनॉट प्लेस का डिजाइन ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल और निकोलस ने तैयार किया था। यह जगह अपनी संस्कृति और खानपान के लिए काफी मशहूर हुआ है। खरीददारी करने कि लिए यहां छोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े शोरूम तक उपलब्ध हैं। वहीं रिटेलर्स के लिए भी ये एक बढ़िया जगह है, यहां उनके लिए बिजनेस के अच्छे अवसर मौजूद हैं। यह दुनिया के सबसे मशहूर कमर्शियल सेंटर में से एक है।