समलैंगिक विवाह पर फैसला लेने से कोर्ट को दूर रहना होगा, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए केंद्र ने कहा कि अदालतों को इससे दूर रहना चाहिए. केंद्र ने शीर्ष अदालत से ये भी कहा कि इस तरह की याचिकाओं विचार करने के लायक नहीं हैं. केंद्र ने कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग इसलिए की जा रही है ताकि इसे सामाजिक मान्यता मिल सके, लेकिन ऐसा करने से निजी कानूनों और माने जा रहे सामाजिक मूल्यों का संतुलन पूरी तरह से तबाह हो जाएगा.
आपको बता दे कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मंगलवार से सुनवाई करेगी. इस समय कई देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता मिली हुई है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देशों में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली हुई है.
केंद्र ने इस तरह के विवाह को शहरी कुलीन वर्ग की सोच बताया है.