तीन राज्यों में भाजपा की जबरदस्त जीत के बाद जहां हर राज्य में मुख्यमंत्रियों के नाम की होड़ मची हुई है। वहीं 64 वर्षीय शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक जनता की सेवा करते रहेंगे।
छिंदवाड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद, मैं छिंदवाड़ा में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि यहां आने पर मुझे इतना सम्मान मिलेगा। जब मैं यहां आ रहा था, तो मैंने अपनी बहनों को कार्ड पकड़े देखा जिसमें लिखा था, ‘भैया आपन जीत गए’ (हमारा भाई जीत गया)। मैं इस शानदार जीत को अपनी बहनों और राज्य के लोगों को समर्पित करता हूं”,
उन्होंने कहा, “मैं अपनी आखिरी सांस तक आपकी सेवा करता रहूंगा। मैं, शिवराज सिंह चौहान, राज्य में विकास की गारंटी देने का वादा करता हूं।”
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए, शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “नरेंद्र मोदीजी हमारे देश के लिए एक आशीर्वाद हैं। हम अपने देश को ‘विश्वगुरु’ बनाएंगे। कांग्रेस राम मंदिर पर सवाल उठाती थी। लेकिन अब, इसका उद्घाटन होने जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “मैंने वादा किया है कि हम हर गारंटी को पूरा करेंगे। हमें हर परिवार को रोजगार का वादा पूरा करना है। हमें अपनी बहनों से किया गया वादा पूरा करना है।”
बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें बीजेपी की झोली में डालने का वादा भी किया. 2019 में बीजेपी ने 29 में से 28 सीटें जीती थीं।
“मैं शिवराज सिंह चौहान हूं और आपको प्रगति की गारंटी देता हूं। आज से हम मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने के लिए एक नया मिशन, मिशन 29 शुरू कर रहे हैं। हमारा संकल्प लोक में राज्य की सभी 29 सीटों पर ‘कमल’ खिलाना है।” अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए हम सभी भाजपा के समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ता पूरी निष्ठा से मेहनत कर संगठन को मजबूत बनाएंगे तथा ’29 कमल’ की माला निश्चित रूप से अपने प्रिय प्रधानमंत्री श्री शिवराज चौहान को समर्पित करेंगे।”
चौहान ने कहा, “भाजपा को 48.6% वोट मिले जो हमें अब तक नहीं मिले। जब हमने 173 सीटें जीतीं तो वोट प्रतिशत 42 था। आपने चमत्कार कर दिया।”
भाजपा ने मध्य प्रदेश में एक रिकॉर्ड बनाया और पिछले 20 वर्षों में से 18 वर्षों तक राज्य पर शासन करने के बाद सत्ता में वापस आई। यह राज्य में पार्टी की संगठनात्मक पकड़ के साथ-साथ उसकी योजनाओं और नेतृत्व की लोकप्रियता का स्पष्ट संकेत है।
भाजपा ने पार्टी संगठन की ताकत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे का इस्तेमाल कर चुनाव लड़ा। पार्टी ने किसी भी चुनावी राज्य में मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार पेश नहीं किया।